सलीम अहमद
रामनगर (महानाद) : गणतंत्र दिवस के अवसर पर हिंदी साहित्य भारती नैनीताल और सरोकार साहित्यिक संस्था, रामनगर के संयुक्त संयोजन में धूप-छाँव चित्रकूट, चोरपानी में कवि एवं विचार गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में उपस्थित कवियों एवं साहित्यकारों ने अपनी देशभक्ति पूर्ण कविताओं से उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
मितेश्वर आनन्द ने मनोरंजक कहानी ‘मद्दी का रावण’ पढ़ी तो शिवाकांत शुक्ला ने ‘इस कोरोना काल में आया तू गणतंत्र, स्वागत करने के लिए नहीं मिला कोई मन्त्र’ पढ़कर मंत्रमुग्ध कर दिया।
डाॅ. सत्य प्रकाश मिश्र ने अपने गणतन्त्र के विविधता भरे रूप को उकेरते हुए कहा – मन्दिरों में घण्टियां बजें, गुरुद्वारों में शबद सजें, मस्जिदों में अजान के स्वर यहाँ किसने बिखेरा है, प्राणों से भी प्यारा है, देश ये हमारा है। महेश्वर दत्त बाजपेयी ने – चुप रहने वालों अब देखो कहाँ गयी अमराई है। धूप नहीं है, मीठा बोल बही नहीं पुरवाई है तो रुबीना अख्तर ने जहाँ फूलों को खिलना था, वहीं खिलते तो अच्छा था, तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते तो अच्छा था। कविता का पाठ किया।
मशहूर शायर सगीर अशरफ ने नवयौवना थी जब मैं, कमल की तरह खिलते रहे वह, रातरानी की तरह महकती रही मैं एवं डाॅ. अनुपम शुक्ल ने किसान को समर्पित कविता -हम किसान, धरती के माली हैं ,मालिक नहीं हैं, सुनाकर वाहवाही बटोरी।
इस अवसर पर सगीर अशरफ के कविता संग्रह ‘गुलमोहर और अमलताश का स्पंदन’ का विमोचन भी किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ. सत्यप्रकाश मिश्र ने की, मुख्य अतिथि उत्तर भारत पटवारी-कानूनगो संघ के महासचिव तारा चन्द्र घिल्डियाल थे।
गोष्ठी में डाॅ. ओमकार नाथ पांडेय, डाॅ. ममता शुक्ला, गौरव दुबे, जमीला अशरफ, अनन्य, अनुष्का ने भी काव्यपाठ किया।