जिम कॉर्बेट पार्क : जहाँ प्रकृति नैसर्गिक खजाना खोलकर बैठी कर रही है आपका इन्तज़ार

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रामनगर (महानाद) : बहुधा ऐसा होता है आप जहाँ निवास या नौकरी कर रहे होते हैं, उस स्थान की विशिष्टता से प्राय: उदासीन रहते हैं, परंतु बात जब जिम कॉर्बेट के परिक्षेत्र में रहते हुए वाइल्ड एडवेंचर के हाथ लगे अवसर की हो तो भला कौन नहीं तैयार हो जायेगा |

पिछले दिन राइका ढिकुली का अधिकांश स्टाफ दो जिप्सियों में नवनिर्मित गर्जिया जोन भ्रमण पर था|
ऐसे कई अवसर आये जब जंगल तथा वन्यजीवों को बेहद निकट से देखने-समझने का वक्त मिला| जब – जब जंगल घूमने का सौभाग्य मिला वह पहले की अपेक्षा अधिक नित्यनूतन, रमणीय और चित्ताकर्षक दिखा|

पर्यटकों से एक बात साझा करना जरूरी लग रहा है |जब आप कॉर्बेट घूमने की योजना बनायें तो टाइगर देखने की लालसा सहज-स्वाभाविक है किंतु उसे विचरण करना देखना स्वप्न के साकार होने जैसा है| आप खुली आंखों से जैव विविधता का आनंद लीजिये| पशु-पंछियों व साँपों की अनेक प्रजातियों के विषय में अपने साथ चल रहे गाइड से दी जा रही जानकारियों को गौर से सुनिये| अहसास कीजिये जंगल के अनुशासन को| एक लय, एक गत्यात्मकता पर अपना ध्यान केंद्रित करके उस पूरे अरण्य की सार्थकता से खुद को जोड़िये जरा|

पता चलेगा कितनी प्राणवंत होती यह छोटी सी एक निरापद दुनिया| जहाँ सबको जीने का समान हक है|सबको पूरी छूट भी, मगर किसी जीव की दिनचर्या में किसी दूसरे जीव का खलल रत्तीभर नहीं है| मधुमक्खियों के अनगिन छत्तों से, भौरों व तितलियों की गुंजार और बाघ की दहाड़ , हाथी के चिंघाड़ तक सब कुछ तो है यहाँ |आप कह सकते हैं अनेक जीव-जंतुओं की इनसाइक्लोपीडिया के पन्ने आपने घूमकर पढ़ लिया | लौटकर मलाल मत पालना कि क्या देखा – आपने तो प्रकृति के बिखरे रतन देखे, जहाँ प्रकृति अपना खजाना खोलकर बैठी है।

 

उस संपूर्ण नैसर्गिक आभा को आंखों में बसा लीजिये| घूमते वक्त एक कासन जरूर याद रखियेगा खाने की कोई वस्तु किसी जानवर के आगे मत डालियेगा, पहला इसलिए कि उन्हें प्रकृति ने बहुत कुछ खाने को दे रखा है, दूसरा उन्हें बाहरी खाद्य पदार्थ के स्वाद का पता नहीं, तीसरा, सीटीआर के नियम का उल्लंघन माना जायेगा| यहाँ अपनी जिप्सी से कदम नीचे रखने की सख्त मनाही है|

जिम कॉर्बेट पार्क जिसे सीटीआर (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) कहते हैं, का अद्भुत वैभव उसकी वैविध्यवर्णी वनसंपदा भी है| बाघ, हाथी, चीता, हिरन, चीतल, भालू , जंगली बिल्ली सहित अन्य वन पशु और पंछियों में लंबे पीले चोंच वाली चिड़िया हार्नविल, ब्राउन इगल व अन्य मेहमान पक्षी , जो कुछ महीने कॉर्बेट के आकर्षण का केंद्र होते हैं, जिनके कलरव से पूरा वनक्षेत्र गुंजार करता है|

यहाँ के पशुओं में साहचर्य व मैत्रीभाव की मिसाल भी मन गदगद करती है, हिरणों के जहाँ- तहाँ दिखते झुंड में लाल मुँह वाले बंदरों को देखा तो थोड़ा आश्चर्य हुआ| हे

मंत ने बताया कि ये बंदर हिरणों के सबसे प्रिय मित्र हैं, ये पेड़ से फल या गूदा चखकर नीचे गिरा देते हैं तो हिरन व उसके बच्चे उसे खाकर अपना पेट भरते हैं| जानकारों का मानना है कि रंगबिरंगी तितलियों की एक पूरी दुनिया,( करीब दो हजार प्रजाति) इसी कॉर्बेट में देखने को मिलती हैं|

यहाँ जामुन, खैर, शाल, बैर आँवला, बहड़, सागौन, तेंदू के पेड़ व विभिन्न वनस्पतियों / वनौषधियों , जीवनरक्षक जड़ी-बूटियों की गंध सीधे आपके रंध्रों में पहुँकर चेतना को झंकृत कर देती है| लैन्टाना (अमेरिकन घास) , गाजर घास, बिच्छू घास, एलीफैंट ग्रास के घेरे और मैदान देखने तो आपको कॉर्बेट ही आना पड़ेगा|

करीब पैंतीस किमी आने-जाने की दूरी, जिनमें कई खतरनाक मोड़, खड़ी चढ़ाई , पारंपरिक जलस्रोत
से होते हुए हिचकोले खाती जिप्सी कब भ्रमण कराकर लौट आई , आभाष ही नहीं हुआ| मन में , आँखों के सामने वही दृश्य, वही हरियाली और झुरमुटों , झींगुरों की ध्वनि व परिवेशजन्य सुवास |

मेरे छात्र रहे हेमंत अधिकारी, जो जिप्सी चालक कम गाइड अधिक कह सकते हैं, ने बहुत नयी- नयी जानकारी जिप्सी के घूमते पहिये के साथ-साथ दी| यहाँ एक बात और खास बता दूँ कि आपको यहाँ दिशा -भ्रम होगा ही| कच्चे रास्तों पर चौराहे, तिराहे मिलेंगे| बूढ़े वृक्षों जिनकी डाल खुरदुरी, दीमक लगी है , वहीं युवा चिकने सुडौल- डाल वाले पेड़ों के बीच से सूरज की छनकर आती किरणों से समय का भान पहाड़ी जनों की जन्मजात खूबी है, परंतु आपको इस पचड़े में बिल्कुल नही पड़ना|

आप पलकों को झपकने से रोको रखिये , हो सकता है आगे सिंहदर्शन का योग हो| मेरा मन तो बार – बार प्रकृति की अनुपम धरोहर कॉर्बेट के सैर का बराबर बना रहता है|
एक ओर जहाँ पहाड़ का अपना विस्तृत वैभव है, जहाँ इस देवभूमि की कोख से विभिन्न नदियों का उद्गम ही नहीं उनका मायका भी है, दूसरी ओर हिमालय दर्शन का सनातन आनंद है; तो वहीं राजाजीनेशनल पार्क और जिमकॉर्बेट पार्क टूरिज़्म के स्थापित स्तम्भ और आर्थिकी के स्रोत हैं |

तो आप जिम कॉर्बेट कब आ रहे ? बस ध्यान यह रखिये कि मध्य जून से मध्य नवंबर के बीच कॉर्बेट भ्रमण
की योजना न बनायें वही बेहतर होगा, क्योंकि वर्षाकाल में पर्यटकों के लिए यह बन्द रहता है|  आपको एक बार तो आना ही पडे़गा साहब! कॉर्बेट पुकार जो रहा|
यहाँ तक आने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करके या रामनगर पहुँचकर भी बुकिंग करवा सकते हैं|
ढिकाला जोन में नाइट स्टे की सुविधा है| इसके अलावा बिजरानी गेट, झिरना गेट से प्रवेश के उपरांत जंगल -दर्शन की सुविधा है|
वाइल्ड एडवेंचर की दृष्टि से
जिमकॉर्बेट को विश्व स्तर की जो ख्याति मिली है, उसका वह अधिकारी भी है|
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यह फीचर संतोषकुमार तिवारी ने लिखा है| वे राइकॉ ढिकुली (रामनगर)में हिन्दी प्रवक्ता हैं |
उनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं| ललित निबंध की एक पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य | पीरूमदारा में रहते हैं|
santoshtiwari913@ gmail.com

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