सिम्पल छाबड़ा
अमृतसर (महानाद) : नारी एक बिटिया, बहन, बीबी, माँ, सास और ना जाने कितने रिश्ते अपने जीवन में लेकर पैदा होती है। हर रिश्ते के किरदार को अगर कोई बखूबी निभा सकता है तो वो सिर्फ नारी ही है। यह कहना है मशहूर टेरो रीडर रजनी सचदेवा का।
उन्होंने कहा कि नारी के जीवन मे जितना संघर्ष है इन किरदारों में छिपा साफ दिखाई देता है। अगर हम इतिहास की नजरों से देखे कोई भी ग्रंथ या धार्मिक किताबें नारी के सम्मान की बात करती हैं। मगर आज के युग में हमें लड़की तो चाहिये नवरात्रों में कंजक के रूप में, परिवार में वंश आगे बढ़ाने के लिए पर नारी क्या चाहती है इसका सरोकार किसी को नहीं। जिस प्रकार से नारी का शोषण, उसकी इज्जत को सरेआम तार-तार कर जो हो रहा है क्या हमें इस समाज में नारी के सम्मान के लिये आवाज उठाने को कोई नहीं। जब इस पुरूष प्रधान देश मे नारी कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है तो नारी का तिरस्कार क्यों?
अपने जीवन के विषय को सांझा करते हुए रजनी सचदेवा ने बतलाया कि उनके जीवन मे बहुत परेशानी आई हैं। जीवन के हर पहलू को उन्होंने संघर्ष करते हुए जिया है। जब शादी लाइफ में उनको परेशानी हुई तो उन्होंने अपने जीवन को समाप्त करने तक का सोच लिया था। उन दिनों वो दौर भी आया जब वह डिप्रेशन में चली गई और मेडिसन लाने तक के उनके पास पैसे नहीं थे। जब हर समय निराशा नजर आने लगी तब उनको सिर्फ शाहिदा साब गुरुद्वारा नजर आने लगा। ये नहीं की वो कभी वहां नहीं गई। वो शुरू से ही बाबा दीप सिंह जी से जुड़ी रही हैं और धार्मिक भावनाओं का संस्कार उनके परिवार से मिला हुआ था। लेकिन जब डिप्रेशन में होते हुए जीवन लीला समाप्त की बात तक आ गई तो अंदर से आवाज आई कि चलो एक बार बाबा जी के सामने जाकर मन के भाव से अरदास कर खुल कर बात की जाये और उनकी मर्जी पूछी जाये। उनको जो आदेश करेगे उस पर अमल कर लेंगे।
रजनी सचदेवा ने बताया कि जब वह अपने मन के भाव लेकर बाबा जी के पास शाहिदा गुरुद्वारा के पास पहुँची तो मन में जितने भी नकारात्मक भाव थे सब सकारात्मक भाव में बदल गये। बाबा जी को अरदास लगाई कि या तो वो अपने पास मुझे बुला लें या उनके प्रति जो समाज के कार्य हैं वो पूरा करवालें। इतना बोलना था कि घर वापिस पहुंचने से पहले ही अंदर से एक आवाज आई और तभी से एक नया मोड़ जीवन का शुरू हो गया। और उनके आशीर्वाद से वे आज एक टैरोकार्ड रीडर के रूप में अपना कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आपके हौंसले व निस्वार्थ भाव से की गई अरदास आपको निराश नहीं करती। जीवन बहुत खूबसूरत है। इसके हर पल को जीना चाहिये। अंधेरे के बाद सवेरा भी होता है।