नई दिल्ली (महानाद) : बिहार में 26 साल से वांटेड एक नक्सली को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की, लेकिन एक सरकारी रिकॉर्ड ने उसका भेद खोल दिया।
बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 60 साल के नक्सली किशुन पंडित को दिल्ली के पुल प्रहलादपुर इलाके से पकड़ा है। पुलिस के मुताबिक किशुन पंडित सन 1990 में नक्सली बन गया था। पवह अपने समय में नक्सलियों की कमांड में दूसरे नंबर पर था। उस समय नक्सली संगठन को आईपीएफ माले कहा जाता था। 90 के दशक के अंत में किशुन पंडित काफी शातिराना तरीके से बिहार से गायब हो गया था।
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि 90 के दशक के अंत में बिहार में किशुन पंडित के परिवार के सदस्यों ने उसकी एक ट्रेन हादसे में मौत की अफवाह फैला दी और उसका श्राद्धकर्म तक कर दिया। जिसके बाद बिहार पुलिस ने भी उसे मृत मान कर उसकी फाइल बंद कर दी।
डीसीपी ने बताया कि 23 नवंबर, 1996 को किशुन पंडित ने अपने सैंकड़ों नक्सली साथियों के दस्ते के साथ पटना से सटे पुनपुन में एक पुलिस टीम पर घातक हमला किया था जिसमें एक पुलिस अधिकारी की जान चली गई थी तथा कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। हमले में किशुन पंडित ने पुलिस की एक रायफल और 40 गोलियां भी लूट ली थीं। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 31 लोगों को गिरफ्तार किया था। 1998 में पुलिस ने फार किशुन की गिरफ्तारी के लिए इनाम का ऐलान भी किया था।
डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि 7 अप्रैल को क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को मुखबिर ने नक्सली किशुन पंडित के बारे में जानकारी दी जिसके बाद पुल प्रहलादपुर इलाके के एक सीएनजी पंप के पास से किशुन पंडित को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस को गुमराह करने के लिए उसने अपना नाम सुलेंदर पंडित बताया। लेकिन उसके पास मिले एक जमीन के रिकॉर्ड ने किशुन की पोल खोल दी और आखिर में पुलिस की पूछताछ में उनसे सब कुछ उगल दिया। दिल्ली पुलिस ने उसकी पत्नी के पास से एक आधार कार्ड भी बरामद किया है, जिसमें उसने अपने पति का नाम किशुन पंडित लिखा है।