नई दिल्ली (महानाद) : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की 2 दिवसीय मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 0.50 फीसदी यानी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। रेपो रेट बढ़ने के बाद आपकी ईएमआई बढ़ जायेगी। आरबीआई ने रेपो रेट को कोरोना महामारी के पहले के रेपो रेट की दर यानी 5.5 प्रतिशत के करीब 5.40 फीसदी कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने बताया कि वित्त वर्ष 23 के दूसरे क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ 6.2ø संभव वित्त वर्ष 23 में जीडीपी ग्रोथ 4.1 प्रतिशत संभव, वित्त वर्ष 23 क्वार्टर 4 में जीडीपी ग्रोथ 4 प्रतिशत संभव हो सकता है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने बताया कि 2022-23 के लिए रियल GDP विकास अनुमान 7.2% है जिसमें Q1- 16.2%, Q2- 6.2%, Q3 -4.1% और Q4- 4% व्यापक रूप से संतुलित जोखिमों के साथ होगा। 2023-24 के पहले तिमाही (Q1) में रियल GDP में 6.7% की बढ़ोतरी अनुमानित है: गौरतलब है कि इससे पहले भी जून में और मई के महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी।
गवर्नर शक्तिकांता ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है।
दास ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का अनुमान आईएमएफ से लेकर कई संस्थाओं ने दिया है और ये सबसे तेजी से आगे बढ़ेगी। रेपो रेट के अलावा आरबीआई ने एसडीएफ को 4.65 फीसदी से बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट यानी एमएसएफ को 5.15 फीसदी से बढ़ाकर 5.65 फीसदी कर दिया है.
क्या होता है रेपो रेट?
बता दें कि रेपो रेट वह दर है जिस पर की बैंक को आरबीआई द्वारा कर्ज दिया जाता है। फिर इसी आधार पर बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देते हैं, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर आरबीआई उन्हें ब्याज देती है। ऐसे में, जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाती है तब बैंकों पर बोझ बढ़ता है और बैंक की तरफ से तब बैंक रेट में यानी लोन महंगा होता है।