फिल्म निर्माताओं के लिए बहुत अनुकूल हैं उत्तराखंड : सतपाल महाराज

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मोहित गोयल
सल्ट (महानाद): महासीर फिशिंग कैंप आउटर जोन ऑफ कॉर्बेट नेशनल पार्क मरचूला में चल रहे कौतिक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे और आखिरी दिन उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने आकर यहां आए फिल्म निर्माताओं को उत्तराखंड में फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है और यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की खूबसूरती फिल्म निर्माताओं के लिए बहुत अनुकूल है। इस प्रदेश में फिल्म निर्माताओं के लिए अपार संभावनाएं हैं।

सतपाल महाराज ने कहा कि इस फिल्म फेस्टिवल से हमारे युवा कलाकारों को कैरियर संवारने की एक प्रेरणा मिली है जो कला प्रेमी है रंगमंच प्रेमी है उनको बारीकी समझने का मौका मिला है। मरचूला के महासीर फिशिंग कैंप में ऐतिहासिक कौतिक फिल्म फेस्टिवल हुआ है, इसमें 44 देशों के लोगों ने हिस्सा लिया है। 40 फिल्में प्रदर्शित की गई हैं, जिसमें 6 एनिमेशन, 8 डॉक्यूमेंट्री, 16 शॉर्ट फिल्में और 10 फीचर फिल्में दिखाई गई हैं। इसमें विभिन्न देशों से आये निर्देशक, डायरेक्टर और कलाकारों ने हिस्सा लिया। जिसमें से मुंज्याल बांग्लादेश से आए हैं, माणिक रत्न नेपाल से,ज्यूडी ग्लेस्टोन कनाडा से और अकबर शाहबाद ईरान से आए हैं।

महाराज ने कहा कि सभी ने मिलकर यहां विचार विमर्श किया है और फिल्मों का बहुत सुंदर प्रदर्शन हुआ है। इस प्रकार के रिमोट एरिया मे फिल्म फेस्टिवल जरूर होने चाहिएं जिससे हमारी फिल्मों को प्रोत्साहन मिल सके। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म के अंदर हम ऐसी पॉलिसी लेकर आ रहे हैं कि यदि फिल्मों में उत्तराखंड के लोकल खान पान को दिखाएंगे, लोकल कलाकारों का सहयोग प्राप्त करेंगे, लोकल गाने की शूटिंग करेंगे तो हम आपको और ज्यादा इंसेंटिव देंगे। इस प्रकार हमारा प्रयास है कि लोकल कल्चर को भी बढ़ावा मिले और इन्हें लिया जा सके।

जम्मू कश्मीर ने इस प्रकार की पॉलिसी बनाई है। हम भी इसे इंप्लीमेंट कर रहे हैं। टूरिज्म को प्रोत्साहन देने के लिए हमारा प्रयास निरंतर जारी है। माटी पहचान एक फिल्म बनी है, उसमें बताया है कि अपनी मिट्टी को छोड़कर मत जाओ गांव को छोड़कर मत जाओ।

पलायन के मुद्दे पर महाराज ने कहा कि हमें फिल्मों से प्रेरणा मिलती है और इस तरह की फिल्में बनाने पर हमारी युवा पीढ़ी वापस हमारे पहाड़ों में आएगी और युवा जिस तरफ जाता है। वहीं होता है। गांव फिर बसाए जाएंगे और निश्चित तौर पर हम पलायन को रोकने में सफल होंगे।

कार्यक्रम के आयोजक राजेश शाह और शालिनी शाह ने बताया कि वह पिछले 5 सालों से इस कार्यक्रम को आयोजित कर रहे हैं। 2017 और 2018 में यह कार्यक्रम कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल में कराया गया था। उन्होंने बताया कि 2019 उनके लिए बहुत खास था। उस वक्त यहां के डीएम नितिन भदौरिया ने मरचूला फेस्टिवल के तहत इस फिल्म फेस्टिवल को इंक्लूड किया और उन्हीं के प्रयासों से आज यह इतना बड़ा सफल आयोजन हो पाया है। शाह ने बताया कि उन्होंने कोशिश की है कि वह उत्तराखंड राज्य को फिल्म फ्रेंडली स्टेट बना सकें। शालिनी शाह को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है और वह एक ज्यूरी मेंबर भी रह चुकी हैं।