उद्धव ठाकरे की नहीं रही शिवसेना, एकनाथ शिंदे को मिला तीर कमान

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नई दिल्ली (महानाद) : शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की मृत्यु के लगभग 10 साल बाद शिवसेना की कमान ठाकरे परिवार के हाथ से चली गई।

भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना नाम दिए जाने के आदेश पारित कर दिए। जिसके बाद शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर और कमान भी एकनाथ शिंदे गुट के पास ही रहेगा। आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी जिससे शिवसेना के ज्यादातर सांसद और विधायक नाराज थे और पिछले साल वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ज्यादातर विधायकों ने बगावत करते हुए भाजपा के साथ सरकार बना ली थी और अपने गुट को असली शिवसेना की मान्यता देने का दावा चुनाव आयोग में किया था। जिसके बाद सुनवाई करते हुए आखिरकार चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी।

चुनाव आयोग ने कहा कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त किया गया है। इस तरह की पार्टियां संरचनाएं भरोसा पैदा करने में विफल रहती हैं।

चुनाव आयोग ने जांच में पाया कि शिवसेना द्वारा 2018 में संशोधित संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया। 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के अधिनियम को संशोधनों ने रद्द कर दिया था, जिसे आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा लाया गया था। आयोग ने यह भी कहा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिन्हें 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गोपनीय तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई।

आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों के संविधान में पदाधिकारियों के पदों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव और आंतरिक विवादों के समाधान के लिए एक और स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया का प्रावधान होना चाहिए। इन प्रक्रियाओं में संशोधन करना कठिन होना चाहिए और इसके लिए संगठनात्मक सदस्यों का बड़ा समर्थन सुनिश्चित करने के बाद ही संशोधन योग्य होना चाहिए।

वहीं, चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि आदेश वही है जिस पर हमें संदेह था। हम कह रहे थे कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है। जब मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, तो चुनाव आयोग की यह जल्दबाजी दिखाती है कि यह केंद्र सरकार के तहत भाजपा एजेंट के रूप में काम करती है। हम इसकी निंदा करते हैं।

वहीं, उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने चुनाव आयोग की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। जनता हमारे साथ है। हम एक नए प्रतीक के साथ जाएंगे और इस शिवसेना को एक बार फिर जनता की अदालत में खड़ा करेंगे।