प्रदेश में चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क खोलने की कवायद, दून-हरिद्वार में जगह चिन्हित…

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Uttarakhand News: आमजन को सुकून देने वाले पार्क, चिल्ड्रन पार्क, योगा पार्क या वूमन गार्डन। अब तक आपने यही सुना होगा। लेकिन अब राज्य में चिल्ड्रन ट्रेफिक पार्क भी होंगे। इन पार्क से सड़क पर वाहन कैसे चलाना है। क्या सावधानियां बरतनी है। ट्रेफिक नियम क्या है? इसमें यह सब सीखने को मिलेगा। खासकर बच्चे खेल-खेल में ट्रेफिक नियम समझ पाएंगे। जी हां प्रदेश में चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क खोलने की कवायद अब तेज हो गई है। इस कड़ी में परिवहन विभाग ने देहरादून और हरिद्वार में चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क बनाने के लिए जगह चिन्हित कर ली है।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सीएस ने प्रदेश में देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जैसे अधिक ट्रैफिक दबाव वाले क्षेत्रों से चिल्ड्रन ट्रेफिक प्लान की शुरुवात करने के निर्देश दिए थे। जिसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में देहरादून में सहस्रधारा हेलीपैड के निकट और हरिद्वार में आरटीओ कार्यालय के समीप चिल्ड्रन पार्क के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। अब इन दोनों स्थानों पर पार्क निर्माण के लिए डीपीआर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।

बताया जा रहा है कि सरकार ने चिल्ड्रन पार्क बनाने के लिए अभी 50 लाख रुपये की मंजूरी प्रदान की है। डीपीआर में ही पार्क की सही लागत बताई जाएगी। इसके लिए बजट की व्यवस्था सरकार करेगी। वहीं अन्य जिलों में भी चिल्ड्रन पार्क के लिए जमीन तलाशी जा रही है। सभी को जल्द से जल्द इसकी सूचना भेजने को कहा गया है।

ये सब होगा खास , बच्चों को मिलेगा ज्ञान

बताया जा रहा है कि चिल्ड्रेन ट्रेफिक पार्क में जेबा क्रॉसिंग, ट्रैफिक सिग्नल्स, रेफलेक्टर, साइन बोर्ड, रोड ट्रैक, येलो लाइन, यू टर्न सहित ट्रैफिक रूल्स से जुड़ी सभी जानकारी दी जाएंगी। इस पार्क में बच्चों को साइकिल व खिलौना कार आदि उपलब्ध कराई जाएगी। इस पार्क में दो-तीन ट्रेक भी बनाए जाएंगे, जिनमें यातायात चिन्ह लगाए जाएंगे। यह बताया जाएगा कि किस चिन्ह का क्या अर्थ होता है। इसके साथ ही यहां रेलवे पटरी भी बनाई जाएगी, जिसमें कोई गेट नहीं होगा। इससे यह सिखाया जाएगा कि इस तरह रेल पटरियों को किस तरह पार किया जाए। सड़क सुरक्षा संबंधित संदेश डिस्प्ले होते है, ताकि यहां आने वाले लोग और बच्चे इन्हें पढ़ने के साथ ही अच्छी तरह समझ सके।

सड़क हादसे कम होने की उम्मीद

गौरतलब है कि छोटे बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं और उसे जिन्दगी भर याद रखते हैं। इससे बच्चों में ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और आने वाले समय में देश और प्रदेश को ट्रैफिक नियमों के प्रति जिम्मेदार नागरिक मिलेंगे। माना जा रहा है कि यातायात नियमों के प्रति जागरूकता से ही सडक़ हादसों में कमी आएगी। 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे बिना गियर वाले दुपहिया वाहन चला सकते है। स्कूलों में टू-व्हीलर लेकर आते हैं, लेकिन ज्यादातार के पास न लाइसेंस होता है और न ही नियमों की जानकारी होती है।​

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