भारत का अभिन्न अंग है जम्मू-कश्मीर, दोबारा नहीं लौटेगी धारा 370

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नई दिल्ली (महानाद): जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के लौटने का ख्वाब देख रहे लोगों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। चीफ जस्टिस की अगुआई में बनी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 हटाये जाने के फैसले को सही ठहराया है।

आर्टिकल 370 पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चन्द्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म करना सही था। जम्मू कश्मीर की संविधान सभा खत्म होने के बाद भारत के राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने का संवैधानिक अधिकार है। राष्ट्रपति के पास अधिकार था कि वो आर्टिकल 370 को खत्म कर सकते हैं। भले ही तब संविधान सभा अस्तित्व में ना हो। चीफ जस्टिस ने ने कहा कि इस मुद्दे पर तीन फैसले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिन तक सुनवाई की। इसके बाद 5 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 को हटाने के राष्ट्रपति के अधिकार के इस्तेमाल को हम गलत नहीं मानते। कोर्ट ने राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हुए कहा कि देश के संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं। आर्टिकल 370(1)क के तहत ऐसा किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जारी आदेश में आर्टिकल 367 में सरकार ने एक नया क्लॉज जोड़ दिया था, जिसके तहत जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की व्याख्या जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के रूप में की गई थी। कोर्ट ने कहा कि संविधान की व्याख्या करने वाले आर्टिकल (आर्टिकल 367) का ऐसा इस्तेमाल संविधान में संशोधन के लिए नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने माना कि संविधान की व्याख्या वाले 367 का इस्तेमाल करके 370 को खत्म करने का फैसला सही नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थाई प्रावधान था। जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की गैरमौजूदगी में राष्ट्रपति इसे हटाने का फैसला ले सकते हैं। राष्ट्रपति शासन के वक्त संसद विधानसभा का रोल निभा सकती है। संविधान के सभी प्रावधान को जम्मू-कश्मीर पर लागू करने का फैसला वैध है। जम्मू-कश्मीर के पुर्नगठन बिल पर विचार की कोर्ट जरूरत नहीं समझता।

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