बिग ब्रेकिंग : सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की कैद, 10 लाख का जुर्माना

0
852

दिल्ली (महानाद) : दिल्ली की एक बदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की कैद और 10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है। उनको यह सजा 23 साल पुराने मानहानि के एक मामले में सुनाई गई है। मेधा पाटकर पर ये केस दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने किया था।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को 5 महीने की कैद के साथ-साथ 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि मेधा पाटकर की उम्र और उनकी बीमारी को देखते हुए, उन्हें ज्यादा सजा नहीं सुनाई जा रही है। अदालत ने इस साल 24 मई को इस केस में पाटकर को दोषी करा दिया था, जिसके बाद आज उन्हें सजा सुनाई गई।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि मेधा पाटकर द्वारा वीके सक्सेना को ‘कायर’ कहना और हवाला लेन-देन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाना न केवल मानहानिकारक था, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणा को भड़काने के लिए भी गढ़ा गया था। अदालत ने कहा कि यह आरोप लगाना कि वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए ‘गिरवी’ रख रहे हैं, उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है।

वीके सक्सेना को इंसाफ पाने के लिए 24 साल लड़नी पड़ी कानूनी लड़ाई?
दिल्ली के राज्यपाल वीके सक्सेना को इंसाफ पाने के लिए यह लड़ाई 24 साल लड़नी पड़ी। मेधा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से यह कानूनी लड़ाई चल रही है। जब सक्सेना ने पाटकर और उनके नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने पर उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ नाम के एक गैर सरकारी संगठन के प्रमुख थे। उन्होंने वर्ष 2001 में पाटकर के खिलाफ एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानि करने वाली प्रेस रिलीज जारी करने के लिए दो मामले भी दर्ज किए थे। इसी मामले में दिल्ली की अदालत ने पाटकर को दोषी पाया है।

हालांकि साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को फैसले को चुनौती देने के लिए सजा को 30 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है। वहीं वीके सक्सेना के वकील ने कहा कि उन्हें कोई मुआवजा नहीं चाहिए, वे इसे दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को देंगे। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा शिकायतकर्ता को दिया जाएगा, फिर आप अपनी इच्छानुसार इसका निपटान कर सकते हैं।

वहीं, मेधा पाटकर ने कहा कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की, हम सिर्फ अपना काम करते हैं। हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here