ऋषिकेश। अस्पताल में अग्नि सुरक्षा संबंधी प्रोटोकाॅल विकसित करने और अग्नि सुरक्षा उपायों की बुनियादी जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एम्स अब अपने कार्मिकों के लिए नियमिततौर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा। व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग के लिए एम्स प्रशासन द्वारा 8 सदस्यीय “अग्नि सुरक्षा समिति” का गठन किया गया है।
बीते माह 27 मई को दिल्ली के एक अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड के बाद उत्तराखंड के प्रत्येक अस्पताल में भी अग्नि सुरक्षा संबंधी नीतियों को विकसित करने और अग्नि रोकथाम के उपायों को सख्ती से लागू करने की प्रबल आवश्यकता महसूस की गई थी। इस मामले को एम्स संस्थान द्वारा भी गंभीरता से लिया गया। हालांकि एम्स ऋषिकेश में उच्च गुणवत्ता के फायर उपकरणों के अलावा फायर रेस्पांस टीम पहले से ही गठित है और संस्थान में आगजनी जैसी घटना के दौरान मरीजों तथा अन्य लोगों को प्रभावित क्षेत्र से निकालने की उचित व्यवस्था है लेकिन ऐसे मामलों में तत्कालिक सुरक्षा को देखते हुए अब संस्थान ने तय किया है कि अस्पताल में कार्यरत प्रत्येक स्टाफ को भी इस बारे में प्रशिक्षण दिया जाए। ताकि आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल का स्टाफ भी अग्नि शमन कार्य में सहयोग कर अग्नि संबंधित घटना रोकने में मदद कर सके।
जानकारी देते हुए एम्स के उप निदेशक (प्रशासन) और अग्नि सुरक्षा समिति के सदस्य ले. कर्नल अमित पराशर ने बताया कि विभिन्न ओपीडी और आईपीडी क्षेत्रों में कार्यरत अस्पताल सेवाओं के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी आपात स्थिति में आग बुझाने का अनुभव होना चाहिए।
इसकी आवश्यकता को देखते हुए अग्नि सुरक्षा उपायों की आधारभूत जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए संस्थान द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि 3 जून से इसकी शुरुआत कर दी गई है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अलग-अलग स्थानों पर नियमिततौर पर जारी रखा जाएगा। जिससे कि प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने वाले स्टाफ को कार्य स्थल के समीप ही अग्नि रोकथाम के प्रशिक्षण हेतु सुरक्षा अभ्यास कराया जा सके।