निपाह वायरस को लेकर उत्तराखंड में अलर्ट, लोगों से सावधानी बरतने की अपील…

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कोरोना के बाद अब देश में निपाह वायरस पैर पसार रहा है। निपाह वायरस एक बेहद दुर्लभ लेकिन खतरनाक बीमारी है, जिसमें मौत की दर काफी ज्यादा है। कोविड की तरह निपाह वायरस भी एक से दूसरे को संक्रमित कर सकता है। बताया जा रहा है कि केरल में इस वायरस के छह मरीज मिले है। जबकि दो मरीजों की मौत हो गई है। ऐसे में इसके खतरे को देखते हुए उत्तराखंड सहित देश के कई राज्यों में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पतालों में अलर्ट जारी किया है। आइए जानते है इसके लक्षण और बचाव…

मिली जानकारी के अनुसार निपाह वायरस भी एक ज़ूनॉटिक बीमारी है, क्योंकि यह चमगादड़ों से मनुष्यों और फार्म के जानवरों खासकर सुअरों में फैलती है। यह वायरस एक से दूसरे में तभी फैलता है जब नजदीक कॉन्टैक्ट हो। इस वक्त केरल में इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जो चिंता का कारण भी बना हुआ है। उमस और गर्मी वाले इलाकों में यह वायरस अधिक तेजी से फैलता है। ठंडे इलाकों में इसका प्रभाव कम रहता है। इसकी अबतक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है। लक्षण के आधार पर ही इलाज होता है। फिलहाल सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

क्या हैं इसके लक्षण?

  1. तेज बुखार
  2. सिर दर्द
  3. चक्कर आना
  4. सिर घूमना
  5. सांस लेने में दिक्कत आना

किन अंगों को अटैक करता है यह वायरस?

निपाह वायरस प्रमुख रूप से फेफड़ों और दिमाग को प्रभावित करता है। इससे संक्रमित होने पर खांसी और गले में खराश हो सकती है। यहां तक कि इसमें मरीज सांस का तेजी से चलना, बुखार और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे मितली और उल्टी से भी जूंझ सकता है। गंभीर मामलों में इससे एन्सेफलाइटिस (Encephalitis) यानी मस्तिष्क में सूजन आ सकती है, जिससे कुछ समझ न आना (confusion) या दौरे भी पड़ सकते हैं। दिमाग में  सूजन आने से मरीज कोमा में जा सकता है।इस वायरस से दिमाग में सूजन आने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।

निपाह वायरस से कैसे बचा जा सकता है?

  • N95 मास्क का उपयोग करें, ताकि आप वायरस से बचे रहें।
  • दिन में कई बार हाथों को धोएं, खासतौर पर बाहर से आने के बाद, किसी दूषित सतह को छूने के बाद आदि।
  • हम सभी को बीमार लोगों या फिर जानवरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए, खासकर के बच्चों और बुजुर्गों को उनके नजदीक जानें से बचाएं।
  • संक्रमित व्यक्ति का खाना, कपड़ों या जिस भी चीज का वे इस्तेमाल कर रहे हैं,उसको छूने से बचें क्योंकि इससे भी आप संक्रमित हो सकते हैं।
  • कच्चे खजूर का रस पीने से बचें क्योंकि यह चमगादड़ की लार से दूषित हो सकता है।
  • पेड़ के पास नीचे गिरे फलों को न उठाएं या खाएं। इनसे भी निपाह वायरस का खतरा बढ़ता है।

वहीं बताया जा रहा है कि कोई भी उम्र ऐसी नहीं है जो इस बीमारी से बचाव कर सके। जो भी निपाह वायरस के संपर्क में आएगी, उसमें संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाएगी। यानी निपाह किसी भी उम्र के इंसान को अपना शिकार बना सकता है, लेकिन उम्रदराज लोग और छोटे बच्चे इस बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। वजह है उनका कमजोर या अपरिपक्व इम्यून सिस्टम, जो उनके शरीर को इस बीमारी से सुरक्षित नहीं रख पाता।

बताया जा रहा  है कि उत्तराखंड में इसके लक्षण दिखने पर मरीजों को क्वारंटीन किया जाएगा। फिलहाल जिले में निपाह वायरस की जांच सुविधा नहीं है। अगर मरीज में लक्षण मिलते हैं तो जांच के लिए सैंपल ऋषिकेश एम्स भेजा जाएगा। वहीं अगर दून अस्पताल में अगर ऐसा कोई मरीज आता है और जांच की जरूरत पड़ी तो किट मंगाकर जांच की जाएगी। लेकिन अगर किसी भी मरीज में निपाह वायरस जैसे लक्षण दिखते हैं तो जांच के लिए ऋषिकेश एम्स भेजा जाएगा।

 

 

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