सक्ती/छत्तीसगढ़ (महानाद) : सक्ती जिले के छपोरा गांव में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) कह नकली ब्रांच खेले जाने का मामला सामने आया है। मामले में एसबीआई के अधिकारियों की ओर से मालखरौदा थाने में 3 नामजद व अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है। नकली ब्रांच के जरिए नौकरी लगाने के नाम पर 6 लोगों से ठगी की गई है।
आपको बता दें कि छपोरा गांव निवासी अजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने छपोरा लोकेशन में एसबीआई कियोस्क के लिए आवेदन किया था। इसी बीच उन्हें पता चला कि छपोरा में रातों-रात एसबीआई की ब्रांच खुल गई है। जिस पर उन्हें शक हुआ कि रातों रात एसबीआई की ब्रांच कैसे खुल सकती है? जिस पर उन्होंने नजदीकी एसबीआई ब्रांच डबरा के मैनेजर को इसकी जानकारी दी। उन्होंने मौके पर पहुंचकर छपोरा ब्रांच के कर्मचारियों से बात की तो फर्जीवाड़े का ख्ुालासा हो गया। बैंक के बोर्ड पर ब्रांच का कोई आईएफएससी कोड नहीं लिखा था।
इसके बाद डबरा शाखा प्रबंधक ने अपने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। 27 सितंबर को पुलिस और एसबीआई के अधिकारियों ने छपोरा पहुंचकर पूछताछ की तो पता चला कि यह शाखा फर्जी है और इसमें भर्ती किए गए कर्मचारियों की नियुक्तियां भी फर्जी हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पटेल ने बताया कि डबरा शाखा प्रबंधक ने छपोरा में चल रहे एक फर्जी बैंक के बारे में बताया था। जांच करने पर बैंक के फर्जी होने की पुष्टि हुई। बैंक के कर्मचारियों को फर्जी दस्तावेजों के साथ नियुक्त किया गया था। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में 6 व्यक्तियों को नौकरी के लिए भर्ती किया गया था। उक्त शाखा महज 10 दिन पहले खुली थी। इसमें असली बैंक की तरह सबकुछ था। नया फर्नीचर, पेशेवर कागजात और कामकाजी बैंक काउंटर भी थे। खाता खोलने और लेनदेन के लिए ग्रामीण बैंक पहुंचे तो उन्हें सर्वर डाउन होने की बात कहकर टाल दिया गया। बैंक में नौकरी पाने वाले कर्मचारी सरकारी नौकरी पाकर खुश थे।
कर्मचारियों से पूछताछ करने पर पता चला कि उन्हें ऑफलाइन और इंटरव्यू के माध्यम से नियुक्ति पत्र दिया गया था तथा ट्रेनिंग के लिए छपोरा गांव में खुले एसबीआई बैंक में भेजा गया था। नवनियुक्त कर्मचारी संगीता कंवर ने बताया कि बैंक का काम सीखने के लिए ट्रेनिंग को लेकर हम लोग छपोरा आए थे तो पता चला कि बैंक फर्जी बैंक है। इन सबको पैसे लेकर नौकरी पर लगाया गया था। संगीता कंवर निवासी कोरबा से 2.50 लाख, लक्ष्मी यादव निवासी कोरबा से 2 लाख, पिंटू मरावी निवासी कवर्धा से 5.80 लाख, परमेश्वर राठौर निवासी कोरबा से 3 लाख रुपये लिये गये। वहीं रेखा साहू और मनधीर दास निवासी कोरबा से भी पैसे लेकर नौकरी दी गई।
उक्त फर्जी ब्रांच का मास्टरमाइंड बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूलता था। यह ब्रांच तोष चंद्र केके कॉम्प्लेक्स में किराये पर लेकर चलाई जा रही थी, जिसका किराया 7,000 रुपये प्रति माह था।