बिग ब्रेकिंग : नकली नोट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 2 सगे भाईयों सहित 6 गिरफ्तार

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अभिनव अग्रवाल
हरिद्वार (महानाद) : पुलिस ने एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 6 लोगों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 2 लाख 25 हजार 500 रुपए के नकली नोट, 2 लैपटॉप, 3 आइफोन, 1 एंड्रायड फोन, 1 जिओ का कीपेड फोन, 2 प्रिंटर, नोट छापने व जाली नोट तैयार करने के उपकरण व 2 बाइक बरामद किये हैं।

एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि गांधी कालोनी, देवबंद, सहारनपुर निवासी सौरभ को उसके मां-बाप की मृत्यु होने पर बड़े भाइयों ने घर से बेदखल कर दिया। हताश और निराश सौरभ अपने गांव के दो सगे भाइयों विशाल व नीरज से दोस्ती गांठने के बाद उनके साथ नए सपनों को लेकर देहरादून आ गया। देहरादून पहुंचते ही सौरभ ने दोनों भाइयों की लाइफस्टाइल देखी तो उनका फैन हो गया, किसी चीज की कोई कमी नहीं थी, जैसा उसने सपने में देखा था वह सब था इनके पास और जब वजह जानी तो उसके होश उड़ गए। उसको लगा मेहनत इतनी कम और मुनाफा इतना ज्यादा।

दोनो भाई विशाल आठवीं फेल था और नीरज पांचवी पास था लेकिन दोनों दिमाग से बेहद शातिर थे, उनके दिमाग की बत्ती हमेशा जली रहती थी। दोनों भाई काफी समय से नकली नोटों का कारोबार कर रहे थे। कुछ दिन बाद दोनों ने सौरभ की पहचान सरसावां, सहारनपुर निवासी 12वीं पास मोहित से कराई। मोहित सुद्धोवाला, देहरादून में किराए के कमरे में रह कर नकली नोट छापने का काम कर रहा था। मोटा मुनाफा और अपना सुनहरा भविष्य देख, सौरभ भी इन लोगों से जल्दी घुल-मिल गया और इनकी टीम का अहम हिस्सा बन कर जुर्म की दुनिया में प्रवेश कर गया।

अब 12वीं पास मोहित के साथ एंट्री हुई सरसावां, सहारनपुर निवासी निखिल कुमार की जो मोहित के गांव का था और उसका दिमाग चाचा चौधरी की तरह चलता था। निखिल हरिद्वार में रहकर एक नामी कंपनी में गार्ड की नौकरी करता था। लेकिन जब नौकरी से शौक पूरे नहीं हुए तो निखिल ने चाचा चौधरी वाला दिमाग नेगेटिव डायरेक्शन में चलाकर 500 के नकली नोट छाप कर अमीर बनने का शॉर्टकट अपनाया और पूरे गैंग का मास्टर माइंड बन कर जाली नोटों के कारोबार को शिखर पर पहुंचाने के सपने देखने लगा।

इस काम को करने के लिए निखिल को एक ऐसे एक्सपर्ट व्यक्ति की जरूरत थी जो असली नोट की हू-ब-हू प्रिंट कॉपी (नकली) निकाल दे और इसके लिए उसको साथ मिला मोहित का जो कंप्यूटर भी बेहतर तरीके से जानता था और प्रिंटर मशीन का भी खासा ज्ञान रखता था। दोनों ने मिलकर एक पेन ड्राइव में असली नोट की स्कैंड कॉपी को बढ़िया स्कैनर व लैपटॉप के माध्यम से कई कंपनियों के एक से बढ़कर एक प्रिंटर से प्रिंटआउट निकाला। कई दिनों की माथापच्ची के बाद एक कॉपी को इनके द्वारा फाइनल किया गया। ….और यहीं से शुरू हो गया नकली नोट बनाने का गोरखधंधा।

वो कहावत हैं न… कि गलती से सीख तो मिलती है पर अगर रास्ता गलत हो तो विनाश निश्चित है। अपनी इन्हीं हरकतों के कारण निखिल और मोहित 2021 में नकली नोट बनाने पर नाहन, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश से पकड़े गए और जेल गए। जहां 5 महीने जेल में रहकर आए। लेकिन
जमानत पर जेल से बाहर आने पर भी इनमें कोई सुधार नहीं हुआ और उत्तराखंड को सॉफ्ट टारगेट समझकर यहां पर गोरखधंधा करना शुरू कर दिया।

जेल से बाहर आकर इनके द्वारा और फुलप्रूफ प्लानिंग के साथ अपने काम को आगे बढ़ाने पर विचार किया गया और अपनी टीम में ऐसे लोगों को रखा जाने लगा जो विश्वास पात्र हों और बाहर जाकर इन नकली नोटों को पब्लिक के बीच आसानी से चला सकें।

फिर क्या? एक के बाद एक कई साथी जुड़ते चले गए… जिसमें एंट्री हुई हापुड़ निवासी अनंतवीर की, जो 2001 में आर्मी में बंगाल इंजीनियरिंग में भर्ती हुआ था। वह 2004 में एक्सीडेंट होने पर आर्मी छोड़ देने से पैसों की तंगी से जूझ रहा था और अपराध की दुनिया से आसानी से जुड़ गया।
अब इनकी संख्या बढ़कर 6 हो चुकी थी – विशाल, नीरज, निखिल, मोहित, अनंतवीर व गांव से सुनहरे सपने देखकर शहर आया सौरभ।

अब बारी आई नकली नोट छापने एवं उनको बाजार में चलाने की!
मोहित, विशाल व नीरज द्वारा देहरादून के सुद्धोवाला एवं चंद्रबनी में आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों से नकली नोटों की छपाई का काम किया गया, जो देखने में हू-ब-हू असली जैसे लगते थे। छापने के बाद इन नोटों की कटिंग की जाती थी जो कभी-कभी थोड़ी ऊपर नीचे हो जाया करती थी जिस कारण नोट का साइज छोटा बड़ा हो जाता था, कभी नोटों के नंबरों के क्रम एक जैसे हो जाते थे इत्यादि छोटी बड़ी गलती इन लोगों से होती रहती थी। ऐसी कच्ची-पक्की इनकी लघु फैक्ट्री हिचकोले खाकर धीरे-धीरे चल रही थी और इन में तैयार इन नकली नोटों को बाजार में चलाने के लिए निखिल, अनंतवीर और सौरभ काम करते थे।

यह इन नोटों को ऐसे इलाकों पर चलाते थे जहां कोई बेहद बुजुर्ग दुकानदार हो अथवा दुकान में काफी भीड़ रहती हो। यानि चलती दुकान हो। ये दुकान में अक्सर 200-250 रुपये का सामान खरीदा करते थे और बदले में 500 का नोट देते थे। ताकि दुकानदार भी ज्यादा आनाकानी न करें। इसके अतिरिक्त भी इनके द्वारा ‘मौका देखकर’ भीड़भाड़ वाले इलाकों, पेट्रोल पंपों, छोटी मोटी दुकानों पर जाकर खरीदारी कर 500 का नकली नोट देकर खुले छुट्टे के रूप असली रुपए लिए जाने लगे।

लेकिन अपने इस कारोबार को और अधिक बढ़ाने के लिए इन चतुर खिलाड़ियों का देहरादून से हरिद्वार की ओर रूख करना भारी पड़ गया। तेजतर्रार हरिद्वार ‘रानीपुर’ पुलिस ने काल बन कर इस गैंग के 4 सदस्यों को सटीक सूचना पर दबोच कर मौके से करीब 22,000 के नकली नोटों का जखीरा बरामद किया तथा पूछताछ में प्रकाश में आए 2 अन्य अभियुक्तों मोहित और विशाल को पकड़ने के लिए पुलिस की दो टीमें बनाते हुए सुद्धोवाला, प्रेमनगर, देहरादून एवं दून एनक्लेव, पटेलनगर, देहरादून से 2 लाख से अधिक के नकली नोटों के जखीरे, प्रिंटर, लैपटॉप, 3 आईफोन सहित 05 मोबाइल, ब्लेड कटर, चमकीली ग्रीन टेप, प्रिंटर, इंक जेट, कटर, कैंची व नकली नोट छापने के कई उपकरणों सहित दबोचकर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।

नाम पता अभियुक्त –
1- सौरभ (21 वर्ष) पुत्र जसवीर निवासी गांधी कालोनी, थाना देवबंद, जिला सहारनपुर, उ.प्र. (5वीं पास)।
2- निखिल कुमार (24 वर्ष) पुत्र सुरेन्द्र कुमार निवासी ग्राम शाहजहांपुर, थाना सरसावां, जिला सहारनपुर, उ.प्र.। (12वीं पास)।
3- अनंतवीर (43 वर्ष) पुत्र स्व. जिले सिंह निवासी लोकराड़, थाना बाबूगढ़ छावनी, जिला हापुड़, उ.प्र. (12वीं पास)।
4- नीरज (21 वर्ष) पुत्र राजेश निवासी गांधी कालोनी, देवबंद, सहारनपुर, उ.प्र. (5वीं पास)।
5- मोहित पुत्र राजेन्द्र निवासी सरसावां, जिला सहारनपुर, उ.प्र. (12वीं पास)।
6- विशाल (23 वर्ष) पुत्र राजेश निवासी गांधी कालोनी, देवबंद, जिला सहारनपुर, उ.प्र., (8वीं फेल)।

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