नई दिल्ली (महानाद) : शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटरों के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। नई गाइडलाइन के अनुसार अब कोचिंग सेंटर 16 साल से कम उम्र के विद्यार्थियों को अपने यहां एडमिशन नहीं दे सकेंगे। साथ ही अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी जैसे भ्रामक वादे भी नहीं कर सकेंगे। उक्त गाइडलाइन कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को पूरा करने और बेतरतीब तरीके से निजी कोचिंग संस्थानों की बढ़ोतरी को रोकने के लिए हैं।
बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ने यह दिशानिर्देश विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग संस्थानों में सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण पद्धतियों के बारे में सरकार को मिली शिकायतों के बाद तैयार किए हैं। गाइडलाइन में कहा गया है कि कोई भी कोचिंग इंस्टीट्यूट स्नातक से कम योग्यता वाले शिक्षकों को अपने यहां नियुक्त नहीं करेगा। कोचिंग इंस्टीट्यूट बच्चों के नामांकन के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकेंगे। तथा 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों को अपने यहां एडमिशन नहीं कर सकते। विद्यार्थियों का कोचिंग इंस्टीट्यूट में नामांकन माध्यमिक विद्यालय परीक्षा (इंटरमीडिएअ) के बाद ही होना चाहिए।
गाइडलाइन के अनुसार कोचिंग इंस्टीट्यूट अपने कोचिंग की गुणवत्ता या उसमें दी जाने वाली सुविधाओं या ऐसे कोचिंग इंस्टीट्यूट या उनके इंस्टीट्यूट में पढ़े छात्रों द्वारा प्राप्त परिणाम के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दावे को लेकर कोई भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकते हैं या प्रकाशित नहीं करवा सकते हैं या प्रकाशन में भाग नहीं ले सकते हैं।
अब कोचिंग इंस्टीट्यूट किसी भी शिक्षक या ऐसे व्यक्ति की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो। कोई भी इंस्टीट्यूट तब तक पंजीकृत नहीं होगा जब तक कि उसके पास इन दिशानिर्देशों की आवश्यकता के अनुसार परामर्श प्रणाली न हो।
गाइडलाइन में कहा गया है कि कोचिंग इंस्टीट्यूट की एक वेबसाइट होगी जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम/पाठ्य सामग्री, पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाएं और लिए जाने वाले शुल्क का अद्यतन विवरण होगा। विद्यार्थियों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक दबाव के कारण कोचिंग इंस्टीट्यूटों को उन्हें तनाव से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए और उन पर अनावश्यक दबाव डाले बिना कक्षाएं संचालित करनी चाहिए।
बता दें कि उक्त गाइडलाइन में विद्यार्थियों के मानसिक कल्याण को लेकर विस्तृत रूपरेखा पिछले साल कोटा में रिकॉर्ड संख्या में छात्रों की आत्महत्या करने की घटना के बाद आई है। गाइडलाइन में कहा गया है कि विभिन्न पाठ्यक्रमों का शुल्क पारदर्शी और तार्किक होना चाहिए और वसूले जाने वाले शुल्क की रसीद दी जानी चाहिए। इसमें साफ किया गया है कि अगर छात्र बीच में ही पाठ्यक्रम छोड़ता है तो उसकी बची हुई अवधि की फीस लौटाई जानी चाहिए।