आरोप : कोटक महिन्द्रा बैंक के मैनेजरों और कलेक्शन प्रतिनिधियों ने फर्जी लोन कर निकाले 25 लाख

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रुद्रपुर (महानाद) : एक व्यक्ति ने कोटक महिन्द्रा बैंक (पूर्व में आईएनजी वैश्य) के मैनेजरों और कलेक्शन प्रतिनिधियों पर उसकी जमीन पर फर्जी लोन कराकर 25 लाख रुपये निकालने का आरोप लगाया है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

ग्राम गंगापुर पटिया, रुद्रपुर निवासी भारतेन्दु मिश्रा पुत्र स्व. केशव चन्द्र मिश्रा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रुद्रपुर की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बताया कि सन 2012 में उन्होंने पंजाब नैशनल बैंक की किच्छा शाखा में अपनी भूमि बन्धक रख कर पन्द्रह लाख रुपये का कृषि लोन लिया था। सन 2013 में उसने आईएनजी वैश्य बैंक (अब कोटक महिन्द्रा) की रुद्रपुर शाखा से 25 लाख रुपये का लोन लेकर उक्त लोन को टेक ओवर करवा दिा था।

भारतेन्दु ने बताया कि इसके बाद उनके द्वारा नये लोन एकाउट का संचालन स्वस्थ रूप से किये जाने लगा और वर्ष 2013 में ही उनके द्वारा दिनांक 25.05.2013 को 25,000 रुपये व दिनांक 29.06.2013 को 2,60,000 रुपये अपने लोन एकाउंट में जमा किये गये। इसके बाद वर्ष 2014 में पारिवारिक समझौते के आधार पर उनके द्वारा बैंक को जानकारी देकर अपनी कुल 14.87 एकड भूमि में से 5 एकड़ भूमि अपने दोनों बेटे योगेश मिश्रा व देवेश मिश्रा के नाम से दर्ज करा दी गई।

भारतेन्दु ने बताया कि कुछ दिनों बाद आईएनजी वैश्य बैंक ब्रांच रुद्रपुर के शाखा प्रबन्धक हेमन्त त्रिपाठी ने उनके दोनों पुत्रों को बैंक बुलाया उस समय बैंक में बैंक मैनेजर के साथ-साथ केसीसी प्रबन्धक चरनजीत कपूर व क्लेक्शन प्रतिनिधि मुकुल सिंह एवे सुरेन्द्र कुमार भी मौजमद थे। हेमन्त त्रिपाठी और चरनजीत कपूर ने उनके पुत्रों से कहा कि क्योंकि अब कुल 14.87 एकड़ भूमि में से 2.5 एकड़ भूमि योगेश मिश्रा व 2.5 एकड भूमि देवेश मिश्रा के नाम से दर्ज हो चुकी है इसलिए दोनों पुत्रो को उक्त पच्चीस लाख रुपये के लोन में गवाह बनना पड़ेगा व सिक्योरिटी के तौर पर अपने दो-दो ब्लैंक चैक देने पड़ेंगें और कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर करने पड़ेंगे।

भारतेन्दु मिश्रा ने बताया कि उनका छोटा पुत्र देवेश मिश्रा बाहर रहकर नौकरी किया करता था, जिस कारण वह तुरन्त बैंक आकर कागजातों पर हस्ताक्षर करने व ब्लैंक चैक देने में असमर्थ था और उनके बड़े पुत्र योगेश मिश्रा के पास किसी बैंक की कोई चैक बुक नहीं थी, इसलिए हेमन्त त्रिपाठी व चरनजीत कपूर द्वारा तुरंत उनके पुत्र योगेश मिश्रा का नया बचत खाता खोला गया व तुरन्त लूज चैक बुक जारी कर दो ब्लैंक चैक योगेश मिश्रा से हस्ताक्षर कराकर रख लिये गये और साथ ही बैंक के छपे हुए फॉर्म पर कुछ ब्लैंक कागजों पर उनके व उनके पुत्र के हस्ताक्षर कराये गये और उसके बाद उनका खाता सुचारू रूप से चलता रहा।

भारतेन्दु ने बताया कि अप्रैल 2015 में आईएनजी वैश्य बैंक कोटक महिन्द्रा बैंक के साथ मर्ज हो गया और कोटक महिन्द्रा बैंक के नाम से ही जाना जाने लगा। उनके दोनों पुत्र नौकरी व कारोबार के चलते शहर से बाहर ही रहने लगे और वह अकेले ही अपनी खेतीबाड़ी संभालते थे व खाते में पैसे जमा करने के लिए क्लेक्शन प्रतिनिधि मुकुल सिंह एवं सुरेन्द्र कुमार को घर बुलाकर पैसे देकर बैंक भिजवाया करते थे। जनवरी 2023 में एक दिन अचानक एक गाड़ी से चण्डीगढ़ पुलिस उनके घर पहुँची और बताया कि उनके पुत्र योगेश मिश्रा के विरुद्ध कोटक महिन्द्रा बैंक द्वारा एक वाद चण्डीगढ़ कोर्ट अन्तर्गत धारा 138 एनआई एक्ट दायर किया गया है और उसमें जारी गैर जमानती वारंट के अनुपालन में वह योगेश मिश्रा को गिरफ्तार करने आये हैं। परन्तु योगेश मिश्रा के वहीं मौके पर ना मिलने के कारण वह खाली हाथ ही लौट गये।

उन्होंने बताया कि उन्होंने तुरन्त बैंक जाकर मामले की जानकारी ली तो पता चला कि उक्त मैनेजरों और कलेक्शन प्रतिनिधियों ने मिलीभगत कर अगस्त 2014 में योगेश मिश्रा के नाम से 25 लाख रुपये का एक फर्जी कृषि लोन सेंक्शन किया है और सारे पच्चीस लाख रुपये एक साथ कुछ दिनों के अन्दर निकाल लिए। बीच-बीच में उनके द्वारा क्लेक्शन प्रतिनिधि मुकुल सिंह एवं सुरेन्द्र कुमार को अपने लोन एकाउंट में जमा करने के लिए लिए दिये गये पैसों को उनके द्वारा इस फर्जी लोन एकाउंट में जमा कराये गये। जब उन्होंने बैंक कर्मचारियो के सामने हकीकत बयां करते हुए अपने पुत्र योगेश मिश्रा के नाम से हुए फर्जी लोन के कागजात देखने चाहे तो बैंक वालों ने कोई भी कागजात दिखाने से इंकार कर दिया और साथ ही उन्होंने अपने लोन व अपने खाते की स्टेटमेंट और विवरण देखना चाहा तो वह भी दिखाने से इंकार कर दिया।

भारतेन्दु मिश्रा ने बताया कि कुछ दिनों बाद ही उनकी जानकारी में आया कि रुद्रपुर निवासी राजीव शुक्ला एवं देवेन्द्र सिंह को भी इस तथ्य के साथ परेशान किया जा रहा है कि उन्होंने योगेश मिश्रा के फर्जी लोन में गांरटर के रूप में हस्ताक्षर किये हैं जबकि वे या उनका पुत्र योगेश मिश्रा दोनों लोगों को ठीक से जानते तक नहीं हैं और ना ही राजीव शुक्ला एवं देवेन्द्र सिंह को यह ध्यान है कि उन्होंने योगेश मिश्रा के किसी भी लोन पेपर पर हस्ताक्षर किये हों। जब उन्होंने चण्डीगढ़ कोर्ट जाकर मामले की जानकारी ली तो पता चला की वर्ष 2014 में उनके लोन में सिक्योरिटी के रूप में उनके पुत्र से लिए गए चैकों का प्रयोग करके वर्ष 2023 में 42 लाख रुपये के ब्याज सुदा लोन के भुगतान के लिए दिया गया चैक दिखाते हुए वाद अन्तर्गत धारा 138 एनआई एक्ट फाइल किया गया है।

भारतेन्दु मिश्रा ने कहा कि शाखा प्रबन्धक हेमन्त त्रिपाठी, केसीसी प्रबन्धक चरनजीत कपूर व क्लेक्शन प्रतिनिधि मुकुल सिंह एवं सुरेन्द्र कुमार ने मिलकर पच्चीस लाख रुपये का फर्जी लोन कर एक साथ सारे पैसे फर्जी तरीके से खाते से निकालकर हड़प लिये हैं। उन्होंने उक्त लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने उक्त लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जाचं शुरु कर दी है।

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