Sarkari Yojana: शिक्षा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा का गुणवत्तायुक्त माहौल बनाने या नयी तकनीकों के अनुपयोग करने के लिए शोध की भूमिका अहम है। इसी कड़ी में धामी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब शोध करने वाले छात्र छात्राओं ,शिक्षकों को अधिकतम 15 से 18 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा। इस योजना को लेकर सीएम धामी का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं को सशक्त बनाना हमारी जिम्मेदारी है।
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य में हाल ही में ‘मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना’ शुरू की गई है। इसके तहत शोधार्थियों को 15 से 18 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक उत्थान में शोध कार्यों का विशेष महत्व है, जिसके लिए शोधकर्ताओं को सशक्त बनाना हमारी जिम्मेदारी है।
बता दें कि उत्तराखंड कैबिनेट की मुख्यमंत्री शोध प्रोत्साहन योजना को मंजूरी के बाद विभाग ने मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना का शासनादेश जारी कर दिया है। बताया जा रहा है इस योजना के तहत प्रदेश के सरकारी विवि कॉलेज के छात्र, शिक्षकों को अब सरकार शोध के लिए 15 से 18 लाख रुपये का अनुदान देगी। ये शोध विज्ञान, कला एवं मानविकी, गृह विज्ञान, वाणिज्य प्रबंधन के अलावा राज्य के सामाजिक, आर्थिक, समसामयिक विषयों पर भी किया जा सकेगा। योजना के तहत शासकीय, अशासकीय, अनुदानित महाविद्यालयों और राज्य विवि परिसरों में काम कर रहे नियमित सीनियर टीचरों और संबंधित संस्थानों में रेगुलर रूप से पढ़ाई कर रहे छात्रों को मौका मिलेगा।
इसके लिए दो साल में शोध पूरा करना है, जिसके लिए विशेष परिस्थितियों में एक साल का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। अनुदान तीन किश्तों में मिलेगा, जिसके तहत पहली किश्त में 50 प्रतिशत, दूसरी किश्त में प्रगति आख्या देने के बाद 30 प्रतिशत और तीसरी किश्त में शोध पत्रिका प्रकाशन के बाद 20 प्रतिशत पैसा मिलेगा। शोध के सहयोगी को भी सरकार 5000 रुपये प्रतिमाह देगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए अभ्यर्थी को समर्थ पोर्टल से शोध के लिए आवेदन करना होगा।
बताया जा रहा है कि आवेदन करने पर प्राचार्य या कुलसचिव को 15 दिन में निर्णय लेना है। ऐसा न करने पर स्वतः फाइल आगे बढ़ जाएगी। शोध पूरा होने के बाद वृहद शोध के लिए प्रस्ताव यूजीसी, डीएसटी को भेजा जाएगा। इस योजना के संचालन के लिए राज्य शोध एवं विकास प्रकोष्ठ चयन एवं मूल्यांकन समिति का गठन किया जाएगा। जिसके संयोजक निदेशक उच्च शिक्षा होंगे। इसमें सचिव उच्च शिक्षा का नामित प्रतिनिधि भी होगा। यह भी तय किया गया है कि अगर किसी ने शोध में किसी तरह की अकादमिक चोरी की तो उससे पूरी राशि वसूल की जाएगी।