देहरादूनः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान हो रही बदइंतिज़ामी और खान पान की वस्तुओं के दामों में बेतहाशा इजाफे की उन्हें मिल रही शिकायतों की ओर सरकार और प्रशासन का ध्यान खींचते हुए कहा की इससे न सिर्फ उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों की गरिमा खराब हो रही है बल्कि देश के कोने कोने से आ रहे श्रद्धालुओं को बेइन्तेहा तकलीफ के साथ साथ सरकार की बदनामी हो रही है। गौरतलब हैं की जहाँ पिछले दिनों उत्तराखंड के इन चार धामों में बेतहाशा श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते यहाँ हाहाकार मच गया था और करीब 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी जिनमे बुजुर्ग अधिक थे। वहीं दूसरी तरफ ये भी शिकायतें मिलीं की यहाँ पण्डे पुजारी के साथ साथ खाने की साधारण थाली के दाम तीन सौर रुपयों से भी अधिक हैं वगेरा वगैरा।
पूर्व उत्तराखंड सीएम् हरीश रावत ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात की तरफ ध्यान केंद्रित किया है की उन्हें भी शिकायतें मिल रही हैं की यात्रा दौरान परांठों की कीमत 160 रुपये चार्ज की जा रही है। ये वास्तव में बहुत ही दुर्भाग्य जनक है कहा हरीश रावत ने यात्रा के दौरान हालातों को ठीक करने के इरादे और बदइंतज़ामी को ठीक करने हेतु पूर्व सी एम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने लिखा: हरिद्वार से जिस राज्य के हर हिस्से में हर 50-60 किलोमीटर पर कोई न कोई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हो, हमको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो बाहर के यात्रीगण आ रहे हैं और यदि #केदारधाम, बद्रीधाम, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में संख्या ज्यादा हो रही है तो कुछ लोगों को सरकारी खर्चे पर मार्ग में ठहरा कर, वहां के निकटस्थ तीर्थ स्थल के दर्शन करवाने चाइये और उसका खर्चा सरकार स्वयं वहन करें। मेडिकल सुविधाओं के साथ खान-पान की सुविधाओं पर भी नजर रखनी पड़ेगी। मुझे कुछ लोगों ने फोन करके बताया कि 150-160 रुपये का एक पराठा चार्ज हो रहा है, कुछ लोग दे सकते हैं और कुछ लोग ऐसे भी तो हैं जो आस्था के कारण अपनी छोटी-मोटी बचतों के आधार पर हमारे तीर्थ स्थानों पर आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे तीर्थ स्थलों की प्रति उनकी मान्यता है, तो हमें इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि उन सब लोगों को खाने-पीने, रहने की सुविधा उचित मूल्य पर मिल जाए। दवा और SDRF की सुविधा तो हर 100 यात्रियों के बीच में हमें एक हेल्प डेस्क बनाना चाहिए, जहां पर यात्री को हर तरीके की सुविधा और मार्गदर्शन मिल सके। यह अब केवल सरकार की चुनौती नहीं रह गई है। मैं, राज्य के लोगों से अपील करूंगा कि हम सबकी सामूहिक चुनौती है। यदि हम कुछ कह रहे हैं तो हमारे कहे को राज्य सरकार की आलोचना न समझा जाए। बल्कि कुछ बातें जो हम लोगों तक आ रही हैं, उसको हम राज्य सरकार तक पहुंचा कर उनके काम में हाथ बंटाने के भाव से इसको ले रहे हैं।