धर्मयात्रा महासंघ ने फूंका श्रीरामचरितमानस का अपमान करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला

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आकाश गुप्ता
काशीपुर (महानाद) : धर्मयात्रा महासंघ ने आज श्रीरामचरितमानस के अपमान पर यहाँ सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुतला फूंका।

इस मौके पर धर्मयात्रा महासंघ के पदाधिकारियों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा कि हिन्दू जनमानस की आस्था का केन्द्र भारतीय संस्कृति का सम्वाहक महान धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस जो असंख्य हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा सदियों से पूज्य माना जाता रहा है, का समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा पिछले कुछ दिनों से लगातार अपमान किया जा रहा है। वह नित्यप्रति अपने अपमानजनक पीड़ादायक व अमर्यादित बयानों द्वारा महान धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस का अपमान कर रहे हैं।

राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा गया कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक वर्ग विशेष के वोट पाने के स्वार्थ में हिन्दू समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिये यह दुष्कर्म किया है। मौर्य के बयान देश व धर्म विरोधी हैं। श्रीरामचरितमानस का अपमान हिन्दू तोड़ो प्लान का हिस्सा है। इस अमर्यादित हिन्दू विरोधी और पीड़ादायक बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की चुप्पी भी उनके हिन्दू विरोधी चरित्र को दर्शाती है। श्रीरामचरितमानस का अपमान किसी भी प्रकार सहन नहीं किया जा सकता। सपा नेता ने हिंदुओं के साधु संतों के प्रति जिन कटु व अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है। वह असहनीय व अत्यंत पीड़ादायक हैं। जिससे देशभर के पूज्य साधु संतो के मन में मौर्य के विरुद्ध घोर आकोश उत्पन्न हो गया है।

स्वामी प्रसाद मौर्य

धर्मयात्रा महानगर काशीपुर के कार्यकर्ता व महानगर काशीपुरवासी अनेकों हिन्दू संगठनों से जुड़े रामभक्त हिन्दू व राष्ट्रीय विचारधारा के लोग सपा नेता मौर्य के बयानों की साधु संतों व श्रीरामचरितमानस के अपमान की कड़े शब्दों में घोर निन्दा करते हैं। मौर्य को अपने पीड़ादायक व अपमानजनक बयान को वापिस लेना चाहिये और संत समाज से क्षमा मांगनी चाहिये। मौर्य व अनके समर्थकों द्वारा लखनऊ में महान पवित्र ग्रंथ श्रीरामचरितमानस की प्रतियां जलाई गई हैं जिसके लिये मौर्य के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अन्तर्गत कार्यवाही अमल में लाई जानी चाहिये।

इस मौके पर कृष्ण कुमार अग्रवाल एडवोकेट, राजीव परनामी, राजकुमार सेठी, गुरविंदर सिंह चंडोक, राजकुमार यादव, मदन मोहन गोले, प्रशांत पंडित, संजय भाटिया आदि मौजूद थे।