काशीपुर : नहीं मिले सबूत, दोषमुक्त हुआ शिवकुमार की हत्या का आरोपी

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आकाश गुप्ता
काशीपुर (महानाद) : प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार के न्यायालय ने हत्यारोपी रवि कुमार पुत्र प्रेम पाल निवासी कुमाऊं कॉलोनी, काशीपुर को हत्या के आरोप से दोषमुक्त कर दिया।

अभियोजन का कथानक था कि 16 सितम्बर 2016 को सर्वेश कुमार पुत्र नाथूराम निवासी कुमाऊं कालोनी, काशीपुर ने धारा 302, 307 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि मेरे भाई शिवकुमार की रवि पुत्र प्रेमपाल के साथ 14 सितंबर 2016 को कहासुनी हो गई थी और रवि ने उसे देख लेने की धमकी दी थी। उसी रात 10.30 बजे रवि मेरे भाई शिवकुमार को बुलाकर ले गया। कुछ देर बाद मुझे सूचना मिली कि रवि पाल मेरे भाई के साथ मारपीट कर रहा है। मैं कुछ लोगों के साथ अपने भाई को ढूंढता हुआ वहां गया तो मेरा भाई शिवकुमार रेल पटरी के पास बेहोश पड़ा था। उसे उठाकर मैं कुछ लोगों के साथ अस्पताल ले गया जहां इलाज के दौरान शिवकुमार की मृत्यु हो गई। मेरे भाई शिवकुमार की हत्या कर दी गई है।

एफआईआर के बाद जांच अधिकारी उप निरीक्षक लाखन सिंह द्वारा आरोप पत्र दाखिल किया गया और सुनवाई न्यायालय द्वारा की गई। रवि के खिलाफ दीपक कुमार, संजय कुमार, आशीष गुप्ता, वादी सर्वेश कुमार, पिंकू, नासिर हुसैन, डॉ. राजीव गुप्ता, डॉ. ललित मोहन रखोलिया, डॉ. शिवा पाल, एसआई लाखन सिंह, कांस्टेबल नवीन जोशी के बयान अंकित हुए साथ ही हत्या में प्रयुक्त एक पॉपुलर का डंडा खून से सना, खून आलूदा मिट्टी आदि पेश किए गए। कोर्ट में अभियुक्त रवि कुमार का पुलिस अभिरक्षा में दिया गया इकबालिया बयान भी दाखिल किया गया। अभियोजन अधिकारी का तर्क था कि अभियुक्त द्वारा गंभीर अपराध किया गया है। साथ ही पॉपुलर के डंडे से हत्या की गई है। उसको खून से सना हुआ बरामद किया गया है।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने कोर्ट में तर्क देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास है। प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा जांच अधिकारी की जांच के पहलुओं में भी भारी अंतर है। साथ ही अभियुक्त रवि कुमार की निशानदेही पर कत्ल से संबंधित कोई वस्तु बरामद नहीं हुई है।

प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार ने अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा एवं भास्कर त्यागी तथा अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का गहनता से परिशीलन करने के बाद अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दे दिया।