पहाड के लोकसंस्कृति को मिला सम्मान, डा. डीआर पुरोहित राष्टीय पुरस्कार से होंगे सम्मानित…

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उत्तराखंड को गौरवान्वित करती खबर आई है। पहाड के लोकसंस्कृति के ध्वजावाहक और संरक्षक डा. डीआर पुरोहित को प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित किए गए है।  डॉ पुरोहित को इतने बड़े सम्मान के लिए बधाई देने वालों का तांता लग गया है।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार प्रो डी आर पुरोहित ने विलुप्ती की कगार पर पहुचं चुकी लोकसंस्कृति को विद्यार्थी के रूप में संजो कर इन्हें पूरे विश्व में पहचान दिलाई है। उन्होंने रामकथाओं में सबसे प्राचीन भल्दा परंपरा की मुखौटा शैली- रम्माण से लेकर केदार घाटी का प्रसिद्ध चक्रव्यूह मंचन, नंदा देवी के पौराणिक लोकजागर, पांडवाणी, बगडवाली, शैलनट, रंगमंच, ढोल वादन, ढोली तक के संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मूलरूप से उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग के क्वीली गांव निवासी प्रो. डीआर पुरोहित वर्तमान में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में एडर्जेट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2006 में उन्होंने ही इस विभाग की स्थापना की थी और वर्ष 2007 से लेकर 2010 तक इस विभाग के निदेशक भी रहे।वर्ष 2018 में वह गढ़वाल विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए।

बता दें कि लोकसंगीत और थियेटर के क्षेत्र में वर्ष 2021 का प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया जायेगा। प्रो. डीआर पुरोहित को लोकसंस्कृति का ध्वजवाहक कहा जाता है। लोगों का कहना है कि उनके अथक प्रयासों के कारण पूरा पहाड़ उनका ऋण कभी भी चुका नहीं सकता है। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।