उत्तराखंड की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अब एक और मुद्दे को लेकर आवाज़ बुलंद की। उन्होंने कहा की चीनी मिल इकबालपुर, राज्य के लिए एक समस्या ग्रस्त चीनी मिल बन गई है। लगभग 158 करोड रुपया किसानों का चीनी मिल पर बकाया है। पिछले दिनों जब हमने धरना दिया था तो उस समय चीनी मिल के मैनेजमेंट ने 26 जनवरी तक 8-9 करोड़ रूपया किसानों के खाते में डालने की बात कही थी और कहा था कि फरवरी माह के शुरूआत तक हम 20-22 करोड़ रुपया किसानों के खाते में डाल देंगे। जब मुख्यमंत्री को मैंने और यशपाल आर्या जी ने ज्ञापन सौंपा था तो मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि हमने आज चीनी मिलों की स्थिति को लेकर और गन्ने व इकबालपुर चीनी मिल के सवाल पर बैठक की थी।
उन्होंने कहा कि मेरी गन्ना मंत्री सौरभ बहुगुणा से भी बातचीत हुई, किसी कार्यक्रम में मिल गए थे, तो उन्होंने भी कहा कि हमारे धरने का संज्ञान लेते हुए उन्होंने चीनी मिल मालिकों से कहा है कि पेमेंट का शेड्यूल जल्दी बना करके दें और गन्ने के बकाया का भुगतान करें। विलंब हो रहा है, किसान तड़प रहा है, मैंने तब कहा था कि हम जनवरी महीने की 27-28 तारीख के बाद फिर से तहसीलों पर गन्ने के मूल्य आदि को लेकर प्रदर्शन करेंगे और उसके बाद चीनी मिल के सामने 2 दिन का धरना देंगे।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है, मैं चाहता हूं कि राज्य सरकार और चीनी मिल का प्रबंधन इस बात का संज्ञान ले और गन्ने का मूल्य घोषित करने व इकबालपुर चीनी मिल के बकाए के एक अच्छे हिस्से का किसानों को शीघ्र भुगतान करने की व्यवस्था करें अन्यथा इस कड़कड़ाती ठंड के बावजूद भी हम अपने लक्ष्य पर अड़िक रहेंगे। धरना देंगे चाहे फरवरी के पहले हफ्ते में दें या जनवरी माह के आखिरी दिन दें, क्योंकि 30 तारीख को श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा का समापन होगा, उस ऐतिहासिक अवसर पर मैं अवश्य उपस्थित रहना चाहूंगा। इसलिए या तो 31 जनवरी को कोई कार्यक्रम हम करेंगे नहीं तो पहले या दूसरे हफ्ते की शुरुआत में हम सार्वजनिक विरोध प्रकट करेंगे।