Women’s Reservation Bill: महिलाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी देने के बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया। इस बिल के लागू होने से प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में 23 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। जिससे महिलाएं राजनीतिक तौर पर सशक्त होंगी। इस बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी है। अगर सरकार की योजना के मुताबिक ये बिल कल लोकसभा से पारित हो जाता है तो इसे लागू करने को लेकर कई सवाल उठ रहे है। आइए जानते है बिल से जुड़ी कई खास बातें…
मिली जानकारी के अनुसार संसद के विशेष सत्र का आज बुधवार को तीसरा दिन है। दोनों सदनों की कार्यवाही जारी है। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर डिबेट शुरू हो गई है। सबसे पहले कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सदन को बिल के बारे में बताया। उनके बाद कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी ने 10 मिनट तक अपनी बात कही। सोनिया ने कहा, ‘स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने उसे पास करवाया। इसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, यह बिल पास होने से सपना पूरा हो जाएगा।
दावा किया जा रहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलने के फैसले के बाद पूरी तस्वीर बदलने वाली है। 33 फीसदी आरक्षण मिलने से देश के सर्वोच्च सदन में महिलाओं के लिए 181 सीटें आरक्षित हो जाएंगी। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में भी 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। देश की आजादी के अमृत काल में प्रधानमंत्री के इस ऐतिहासिक फैसले से पूरे देश की महिलाओं में आत्म सम्मान और आत्म विश्वास का भाव पैदा होगा।
गौरतलब है कि संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पेश हो गया है। इस बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया गया है. महिला आरक्षण बिल 27 साल से अटका पड़ा था। 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार में इस बिल को पहली बार लाया गया था। साल 2010 में ये बिल यूपीए सरकार में राज्यसभा से पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में इसे पेश नहीं किया गया। अब इस बिल को फिर संसद में लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को सर्वसम्मति से पास कराने का अनुरोध किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि संसद के दोनों सदनों में अब तक 7,500 से ज्यादा जन प्रतिनिधियों ने अपनी सेवाएं दी हैं। लेकिन, इनमें महिला प्रतिनिधियों की संख्या महज 600 रही है। महिलाओं के योगदान ने हमेशा से सदन की गरिमा बढ़ाने में मदद की है. तभी कायस लगाए जाने लगे थे कि मोदी सरकार संसद में महिलाओं को 33 फीसदी हिस्सेदारी दिलाने वाला महिला आरक्षण विधेयक जल्द पेश कर सकती है।