काशीपुर के ये कैसे बुद्धिमान? तीर्थस्थल को बनाना चाहते हैं श्मशान

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : कल्याण मंच की बैठक में तीर्थ द्रोणासागर में श्मशान बनाने की मांग के विरोध में समाज एवं सोशल मीडिया में आवाजें उठनी शुरु हो गई हैं। भाजयुमो उत्तराखंड के प्रदेश कायकारिणी सदस्य आकाश कांबोज ने कहा है कि श्हर के ये कैसे बुद्धिमान हैं जो एक तीर्थस्थल को श्मशान बनाना चाहते हैं।

आपको बता दें कि एक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार स्थानीय अग्रवाल सभा में आयोजित की गई कल्याण मंच की बैठक में शहर की बढती आबादी को देखते हुए एक नये श्मशान घाट की आवश्यकता पर जोर दिया गया। खबर के मुताबिक कल्याण मंच के बुद्धिजीवियों ने कहा कि श्मशान घाट के लिये सीधे-सीधे तीर्थ द्रोणासागर में श्मशान घाट की स्थापना के प्रयास किये जायें। बुद्धिजीवियों का कहना है कि तीर्थ द्रोाासागर में दसवां संस्कार इत्यादि संपन्न होते हैं और यहां घट भरने की भी परंपरा है। इसलिए नये श्मशान घाट के लिए इससे मुफीद जगह शहर में कोई और नहीं हो सकती।

खबर का संज्ञान लेते हुए भाजयुमो उत्तराखंड के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आकाश कांबोज ने कहा कि ये कैसे बुद्धिमान लोग हैं जो महाभारत काल से जुड़े शहर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल को श्मशान घाट बनाने में जुट गये हैं। जहां सरकार इस तीर्थ के सौंदर्यीकरण मेें जुटी हैं वहीं ये लोग इस जगह को श्मशान बनाना चाहते हैं। कांबोज ने बैठक में मौजूद लोगों की बुद्धि पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कैसी मांग है कि द्रोणासागर में दसवां संस्कार होता है इसलिए यहां श्मशान बना दिया जाये। उन्होंने बुद्धिजीवियों से पूछा है कि कौन से श्मशान में दसवां संस्कार होता है जो दोणासांगर में दसवा संस्कार होने के कारण यहां श्मशान बना दिया जाये।

वहीं आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर भी बुद्धिजीवियों की इस मांग का विरोध शुरु हो चुका है और लोग महाभारत काल के आध्यात्मिक तीर्थस्थल द्रोणासागर को श्मशान घाट बनाये जाने की मांग करने वाले लोगों का विरोध कर रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि जो लोग तीर्थ द्रोणासागर को श्मशान घाट बनाने की सोच रहे हैं वे अपने घरों को श्मशान घाट के लिए दान में दे दें।

आपको बता दें कि बैठक में नगर की मेयर उषा चौधरी भी मौजूद थीं और अखबार में छपी खबर के अनुसार बैठक में मौजूद लोगों को उन्होंने विश्वास दिलाया है कि वे नये श्मशान घाट के निर्माण के लिए भूमि चयन के लिए व्यक्तिगत रूप से पूर्ण सहयोग करेंगी। अब देखना है कि मेयर नये श्मशान घाट के लिए नई जमीन ढूंढकर कल्याण मंच को देंगी अथवा वे भी द्रोणासागर में ही श्मशान बनाने की मांग का समर्थन करेंगी?

आपको बता दें कि एक प्राचीन किले के किनारे द्रोणा सागर नामक सरोवर बना है। यह सरोवर किले से भी पहले का बना हुआ था और इसका निर्माण पांडवों ने अपने गुरु द्रोणाचार्य के लिए करवाया था। इस वर्गाकार सरोवर का क्षेत्रफल 600 वर्ग फुट है। यहाँ पूर्व में गंगोत्री की यात्रा करने वाले यात्री आतेथे। इसके किनारे सती नारियों के स्मारक हैं। ये इस क्षेत्र का संबंध महाभारत काल से जोड़ने की ओर संकेत करते हैं। इस क्षेत्र को उत्तर व दक्षिण पांचाल के रूप में महाभारत के योद्धा द्रोणाचार्य ने विभाजित किया और इसे अपने राज्य का भाग बनाया। इसी गोविषाण के उत्तर के ब्रह्मपुर में कत्यूरी-राजाओं का राज्य रहा होगा। ह्वेनसांग लखनपुर आया जो ब्रह्मपुर की राजधानी थी। ह्वेनसांग सातवीं शताब्दी में आया था और 16 वर्ष रहकर चीन लौट गया था। सरकार ने इस क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया हुआ है।

इसी परिसर में गड़ेश्वर महादेव का एक मंदिर है जिसके बारे में माना जाता ही कि इसकी स्थापना पांडवों द्वारा की गयी थी। इस परिसर को एक पार्क में बदल दिया गया है यहां सुअह-शाम काशीपुर के निवासी मॉर्निंग वाक, पिकनिक और इवनिंग वॉक के लिए आते हैं । इसी परिसर में गुरु द्रोणाचार्य की हाथ में धनुष लिये हुए एक पेंटिंग भी बनी हुई है।

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