पति-पत्नी ने छिपाई अपनी कमाई तो होगी 7 साल की सजा : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली (महानाद) : भरण पोषण के केस में यदि पति या पत्नी अपनी कमाई कोर्ट से छिपायेंगे तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जायेगा। साथ ही उन्हें 7 साल तक की सजा हो सकती है।

बता ेदं कि सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट, जिला कोर्ट में पति या पत्नी द्वारा दायर किए जाने वाले भरण-पोषण के दावों में कमाई से संबंधित शपथ पत्र देना अनिवार्य कर दिया है। पति-पत्नी दोनों को अपनी-अपनी कमाई के बारे में सही जानकारी देनी होगी। शपथ-पत्र में झूठी जानकारी देने पर कोर्ट को गुमराह करने, झूठ बताने के आरोप में केस दर्ज किया जायेेगा।

बता दें कि अभी तक भरण-पोषण के दावों में आवेदन में अपनी मर्जी की कमाई बता दी जाती है। दोनों ही पक्ष अपनी आय के बारे में सही जानकारी नहीं देतेे। लेकिन अब शपथ-पत्र देकर दोनों पक्षों को अपनी सही आय बतानी होगी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदू मल्होत्रा, जस्टिस सुभाष रेड्डी की खंडपीठ के आदेश के बाद यह निचली अदालतों के लिए कानून बन गया है।

अब यदि शपथ पत्र में बताई गई कमाई की जानकारी गलत निकली और कोर्ट में यह साबित हो गया तो शपथ पत्र देने वाले को सात साल की सजा भी हो सकती है। वहीं जो मामले अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं, उनमें भी शपथ पत्र देने होंगे। कोर्ट में भरण-पोषण का दावा प्रस्तुत करने की तारीख से ही यह पक्षकार को मिलेगा, फिर चाहे उक्त मामले का फैसला महीनों बाद ही क्यों न आए।

विदित हो कि ज्यादातर प्रकरणों में पत्नी द्वारा पति से अलग रहने पर भरण-पोषण भत्ता दिलाने के लिए परिवाद दायर किए जाते हैं। जिसमें पतियों के द्वारा अपनी कमाई कम दिखाई जाती है। वहीं, पत्नी भी नौकरी करते हुए भी कोर्ट में कहती है कि उसकी कमाई का कोई साधन नहीं है।

शपथ-पत्र में नियोक्ता का नाम, वेतन, वेतनपर्ची, बैंक अकाउंट की जानकारी शामिल करनी होगी। इनकम टैक्स रिटर्न के बारे में भी बताना होगा। पारिवारिक, पैतृक संपत्ति की गलत जानकारी देने पर भी मुकदमा दर्ज हो सकता है।