जालन्धर (महानाद) : एससी/एसटी एक्ट उन लोगों की सुरक्षा के लिये बनाया गया है जिससे समाज उनकी जात-पात पर कोई टिप्पणी ना कर सके। लेकिन जालन्धर पुलिस प्रशासन इस एक्ट की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।
यह बात अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स के अंतरराष्ट्रीय निदेशक यतीश शर्मा ने उस वक्त कही जब उनके पास जालन्धर के दलित समुदाय से संबंध रखने वाली ज्योति (काल्पनिक नाम) की शिकायत आई। जिसमें ज्योति ने बताया कि उसने अपने सास, ससुर, ननद व ननदोई पर उनके दलित होने के कारण बार बार जलील करने की शिकायत पुलिस/प्रशासन से की लेकिन उसकी शिकायत करने के बाद भी पुलिस/प्रशासन ने कोई कारवाई नहीं की। जोकि हरियाणा/पंजाब हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना है।
ज्योति ने बताया कि 4 महीने पहले उनकी शादी सिख परिवार, जालन्धर में परिवार की आपसी सहमति से हुई थी। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है इसके बावजूद उसके माता-पिता ने अपनी हद से बाहर जा कर उसकी शादी बड़ी धूमधाम से की थी। लेकिन उसके पति को छोड़ कर उसके अन्य ससुराल वाले उसे दहेज के नाम पर व दलित होने के नाते उसको और उसके पति को मानसिक रूप से उत्पीड़ित कर रहे हैं। और उसके साथ अश्लील हरकतें करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। ससुरालवाले बार-बार उसको दलित होने पर ताने कसते रहते हैं । जिसकी शिकायत कई बार पुलिस विभाग को की लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
ज्योति ने पूछा कि क्या समाज में मेरा दलित होना गुनाह है? दलित परिवारों के लिये हर राजनैतिक दल सिर्फ बयान करने के लिये हैं? कोई भी सामाजिक संस्था या दलितों की आवाज उठाने वाले नेता व पुलिस अधिकारियों के पास मुझे दलित होने की प्रताड़ना से बचाने के लिए कोई कानून नही है? आखिर कब तक एक दलित लड़की अपने आप को समाज मे इस तरह जलील हो कर जीवन जियेगी।
अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि अगर कल को मेरे व मेरे पति के साथ कोई भी अप्रिय घटना हो जाती है तो उसके जिम्मेदार मेरे ससुर, सास, ननद, ननदोई व पुलिस विभाग होगा।
उनकी शिकायत पर ध्यान देते हुए निदेशक यतीश शर्मा ने राष्ट्रीय महासचिव आरती राजपूत को उनकी शिकायत पर तुरन्त कारवाई करवाने के लिए जिम्मेदारी दी है और लड़की को पूरा विश्वास दिलाया है की वे भी पंजाब के उच्चाधिकारियों से बात कर मामले में तुरन्त कारवाई करवायेंगे।