विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : बाजपुर रोड पर स्थित एक रिसोर्ट में आयोजित क्रांतितीर्थ कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री एवं नैनीताल उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से सासंद अजय भट्ट ने नगर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता सहित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अनेकों परिवारों को सम्मानित किया गया।
डॉ. संजीव गुप्ता
आपको बता दें कि डॉ. संजीव गुप्ता शहर के जाने माने चिकित्सक हैं तथा डॉक्टर लाइन में अपना क्लिनिक संचालित करते हैं। उन्होंने राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार से बीएएमएस की डिग्री प्राप्त की है। 27 वर्ष पहले मैनपुरी से काशीपुर आये डॉ. गुप्ता अपने बेहतरीन डायग्नोस के लिए जाने जाते हैं। जिसके चलते वे मरीजों को समय से बड़े अस्पतालों में भेजकर उनकी जान बचा चुके हैं। आज के भौतिकतावाद के युग में लालच से परे बहुत कम पैसों में बिना ज्यादा टेस्ट कराये मरीजों के इलाज में जुटे हैं।
बता दें कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. संजीव गुप्ता भारत की फिजियोथैरेपी की प्राचीनतम विधा मर्म चिकित्सा के भी ज्ञाता हैं। मर्म चिकित्सा के द्वारा वे कितने लोगों के लकवे, जाम कंधो, स्लिप डिस्क, स्पोंडोलाइटिस आदि से छुटकारा दिला चुके हैं। उनके द्वारा बनाये तेल और शैम्पू का इस्तेमाल कर कई लोगों का गंजापन दूर हो गया है।
डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि उनके पिता स्मृतिशेष राम नारायण आजाद एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे सीपीआई (एम) आगरा के संस्थापक सदस्य थे। युवावस्था में ही वे मैनपुरी स्थित ग्राम किशनी की जमींदारी छोड़कर सारी जमीन बांटकर मैनपुरी शहर में बस गये और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गये। वे क्रांतिकारियों के ठहरने और खाने की व्यवस्था करते थे। जिस समय चंद्रेशखर आजाद की खोजबीन की जा रही थी। उस समय क्रांतिकारी अखबारों का प्रकारण करना या उन्हें अपने पासरखना अपराध था। लेकिन उनके पास से 5 क्विंटल अखबरा बरामद हुए थे। जिस पर उन्हें कमिश्नर के आगे पेश किया गया था लेकिन उन्होंने चंद्रशेखर आजाद का पता नहीं बताया। पुलिस ने उन्हें छोड़कर उनके पीछे खुफिया पुलिस लगा दी कि उनके जरिये वे चंद्रशेखर आजाद तक पहुंच जायेंगे।
स्मृतिशेष राम नारायण आजाद
डॉ. गुप्ता ने बताया कि 23.4.1942 को उन्हें 6 महीने जेल की सजा सुनाई गई। उस समय जेल का नियम था कि जैसे ही जेलर आता था सब कैदियों को उसे सैल्यूट करना पड़ता था। लेकिन उनके पिता राम नारायण आजाद ने उक्त नियम को तोड़कर अंग्रेज जेलर को लात दिखा दी। जिस कारण उन्हें 3 महीने की काल कोठरी की सजा और सुनाई गई। लेकिन उन्होंने मैनपुरी जेल में उक्त नियम को बंदकरवा दिया। इसके बाद उन्हें जीडी रूल के तहत 6 माह बाद रिहाई दे दी गई।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि मैनपुरी थाने में तैनात अंग्रेज अफसर महिलाओं के साथ बदतमीजी करता था, जिस पर उनके पिता ने अकेले ही उसकी पिटाई कर दी थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन के अलावा अपने जीवन में किसी प्रकार की कोई सरकारी सहायता हासिल नहीं की। सन 1976 में उन्होंने सरकार द्वारा दी जा रही जमीन को भी लेने से इंकार कर दिया था।
उन्होंने बताया कि उनके पिता की 6 संतानें हुईं (3 लड़कियों-3 लड़केद्ध। मैनपुरी जैसे पिछड़े इलाके जिसमें उस समय लड़कियों को लोग पढ़ाते नहीं थे, उन्होंने अपनी बड़ी पुत्री को 1975 में हॉस्टल में रहकर बीएड करने का मौका दिया तथा सभी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाई।
आपको बता दें कि इससे पूर्व स्वतंत्रा संग्राम सेनानी परिवारों के सम्मान समारोह में केंद्रीय रक्षा राज्य एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट, मुख्य अतिथि योगेश जिंदल, निर्देशक जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र आशुतोष भटनागर, विशिष्ट अतिथि एसडीएम अभय प्रताप सिंह व चिकित्सक यशपाल सिंह रावत ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। आज बाजपुर रोड स्थित एक रिसॉर्ट में आयोजित समारोह में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। जिसमें सांसद अजय भट्ट ने शहीद सरदार भगत सिंह के प्रपौत्र विश्वजीत सिंह समेत 41 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये तथा सभी अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।