कल 22 सितंबर 2023 से शुरु हो रहे हैं श्री महालक्ष्मी के व्रत, जाने व्रत का विधान

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विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : कल 22 सितंबर 2023 से आगमी 6 अक्टूबर 2023 तक श्री महालक्ष्मी के व्रत रखे जायेंगे। श्रीस्वामी अजय ने बताया कि श्री महालक्ष्मी के व्रत रखने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

आइये जानते हैं श्री महालक्ष्मी व्रत का महत्व और विधान –
– भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी (22 सितंबर 2023) से आश्विनी कृष्ण पक्ष अष्टमी (6 अक्टूबर 2023) तक भगवती श्री महालक्ष्मी का ‘‘ श्री महालक्ष्मी व्रत’’ होता है।
– यह व्रत 16 दिनों का होता है।
– इस व्रत का अनुष्ठान करने वाले अपनी कामनाओं को ही नहीं अपितु धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष तक को प्राप्त कर लेते है।
– जिस प्रकार तीर्थाे में प्रयाग, नदियों में गंगाजी श्रेष्ठ है, उसी प्रकार व्रतों में यह श्री महालक्ष्मी व्रत श्रेष्ठ है।

व्रत -विधान
भाद्रपक्ष शुक्ल अष्टमी (22 सितंबर 2023) को प्रातः काल उठकर स्नानादि से निवृत होकर अपने पूजा घर में या एकान्त कमरे में एक साफ चौकी की स्थापना करें। चौकी पर गुलाबी कपड़ा विछाये। चौकी पर जल छिड़के, फूल बिछायंे व गन्ध व अक्षत चढ़ाकर चौकी का शुद्दिकरण करें। चौकी पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करंे। चौकी पर धूप-दीया आदि का प्रज्जवलन करें। 16 दिन की अखण्ड जोत भी जलाई जा सकती है। चांदी के सिक्कांे को निम्न प्रकार साफ गुलाबी कपड़ों पर चिपकाएँ -कपड़े को गत्ते पर चिपका कर तस्वीर की भांति चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद 16 सूत्र के डोरे (कलावेद्) में 16 गाँठ लगाकर प्रत्येक गाँठ की
‘‘श्री महालक्ष्म्यै नमः ’’ मंत्र से प्रत्येक गाँठ की पृथक-पृथक पूजा करें।
फिर ‘‘नमस्त्स्यै महालक्ष्म्यै महालक्ष्म्यै नमस्तस्यै’’ मंत्र का जाप करते हुए, उस धागे को अपने दाहिने हाथ या गले में बांध लें। फिर 16 दुर्वा व सोलह अक्षत (चावल) लेकर ‘‘श्री महालक्ष्म्यै नमः’’ मंत्र के 108 बार जाप करें। बाद में दुर्वा व अक्षत को माता श्री लक्ष्मी की मूर्ति के सामने अर्पित कर दें।

– पहले दिन व्रत (उपवास) रखें और केवल एक बार शाम को फलाहार करें।
– शेष 14 दिन सुबह व रात को उक्त प्रकार से केवल पूजा करनी है।
– धागे को 16 दिन लगातार पहने रखना है।
– 16वें दिन भी व्रत रख फलाहार करंे।
– 16वें दिन रात को पूजा के बाद धागे को खोलकर श्री लक्ष्मी जी की प्रतिमा के पास रख देना चाहिए।
– 16वें दिन धागा खोलने के उपरान्त 16 दीपक ;हो सके तो आटे के बनाकरद्ध सरसों के तेल के जलाकर घर के विभिन्न भागों में दीप दान करें। यही वास्तविक दीपावली है तथा 16 दिये या मोमबत्ती श्रीमहालक्ष्मी मंदिर में जलायें।
– इन 16 दिनों में हाथी के दर्शन करना या हो सके तो हाथी की पूजा करना या हाथी को 16 केले खिलाना श्रेष्ठ माना जाता है।
– 17वंे दिन चौकी का विसर्जन कर दें। प्रतिमा या फोटो को यथा स्थान पर रख दें। चावल व दुर्वा को बहते जल में प्रवाहित करंे। धागे को अपने धन रखने वाले स्थान पर रख लें पिछले साल वाला धागा भी जल में प्रवाहित कर दें। गुलाबी कपड़े पर से सिक्के हटाकर यथा स्थान
पर रखंे। कपड़े को धोकर अन्य प्रयोग कर सकते हैं या पूजा करते समय सिर पर बांधे।

श्रीस्वामी अजय


ॐ सिद्ध मनोकामना श्री महालक्ष्मी मन्दिर
               केशवपुरम, बाजपुर रोड, काशीपुर (ऊधम सिंह नगर) उत्तराखण्ड                             मो. 9927076768

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