विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन शेष कुमार सितारा के सौजन्य से उनके आवास टीचर्स कॉलोनी, में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता वेद प्रकाश विद्यार्थी भैया ने तथा संचालन ओम शरण आर्य चंचल ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र का अनावरण, माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना के साथ किया गया। मां सरस्वती की वंदना सोमपाल प्रजापति ने मधुर स्वर में प्रस्तुत की। कवियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
कवि जितेंद्र कुमार कटियार -मत कर ज्यादा जीवन पर भरोसा आज है कल नहीं, खुशियों से जी लो जिंदगी को आज है कल नहीं, आज है कल नहीं।
कवि वेद प्रकाश विद्यार्थी भैया- यह भारतवर्ष कहलाता, हर रोज मनाते पर्व यहां।
कवि कैलाश चंद्र यादव -मुश्किल इंसान की फितरत को है बदल देना, इनका तो काम है शोलों को बस हवा देना।
कवि मुनेश कुमार शर्मा- यह कितना भ्रम रहा हमने ही नारी को संवारा है, कभी लक्ष्मी कभी दुर्गा कहकर ही पुकारा है, अगर यह सत्य होता तो सुरक्षित क्यों नहीं अब तक अजन्मी कोख से लेकर हर कहीं नारी को मारा है।
कवि डॉक्टर यशपाल रावत पथिक- अभिलाषा हो, आशा तुम हो मेरे मन की भाषा तुम हो।
कवि शेष कुमार सितारा- आओ मिलकर दीप जलाएं जय बोले जय भारती, एक साथ सब थाल सजाकर करलें मां की आरती।
कवि शकुन सक्सेना राही अंजाना-जब से तुमसे जुड़े दिल के हैं तार सब, हो गए हैं खफा क्यों मेरे यार सब।
कवि हेमचंद्र जोशी-बाबा भोले को नित्य जल अर्पण कीजिए, सदा मस्ती में जीवन जिया कीजिए।
कवि सोमपाल सिंह प्रजापति सोम- आसमान में उड़ने वाले समझ तुझे अब जाना है, नहीं ठिकाना है वहां कोई लौट जमीन पर ही आना है।
कवि ओम शरण आर्य चंचल- सूख गया जब खेत हमारा, पानी बरसा कर क्या होगा। मांग रहा मन मेरा पानी, गागर छलकाकर क्या होगा।
कवियित्री डॉक्टर पुनीता कुशवाहा- है कोई ऐसा मेरा सहज मित्र जो फुर्सत के क्षण वापस ला दे, फुर्सत में जगना फुर्सत में उठना फुर्सत में अखबार का पढ़ना कोई यह सब वापस ला दे। कवि
नवीन सिंह नवीन- भारतीय रेल की जनरल बोगी, पता नहीं आपने भोगी की नहीं भोगी।