नोएडा (महानाद) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि देश का विभाजन कभी ना मिटने वाली वेदना है। इसका निराकण तभी होगा, जब ये विभाजन निरस्त होगा। भागवत ने कहा कि भारत के विभाजन में सबसे पहली बलि मानवता की ली गई।
भागवत नोएडा सेक्टर-12 स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। भागवत ने कहा कि विभाजन कोई राजनैतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार ही इसलिए किया गया था कि खून की नदियां ना बहें, लेकिन उसके उलट तब से अब तक कहीं ज्यादा खून बह चुका है।
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि भारत का विभाजन उस समय की परिस्थिति से ज्यादा इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम था। हालांकि गुरुनानक जी ने इस्लामी आक्रमण को लेकर हमें पहले ही चेताया था। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन कोई उपाय नहीं है, इससे कोई भी सुखी नहीं है। अगर विभाजन को समझना है, तो हमें उस समय से समझना होगा।
बता दें कि किताब के लेखक कृष्णानंद सागर ने ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ में देश के उन लोगों के अनकहे और अनसुने अनुभव को शामिल किया है, जो विभाजन के दर्द के गवाह हैं। किताब में विभाजन के साक्षी रहे लोगों के साक्षात्कारों का संकलन किया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव ने की। वहीं विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कुमार रत्नम बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।