उत्तराखंड में धामी सरकार एक्शन में है। इसी कड़ी में प्रदेश में नई खनन नियमावली लागू कर दी है। इस नियमावली में पिछले माह ही संशोधन किया गया था। नई नियमावली के तहत अब कई कामों के लिए आवेदन राशि में बदलाव हुआ है तो वहीं जुर्माना राशि में बदलाव किया गया है। अधिकारियों को भी कई अधिकार दिए गए है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार उत्तराखंड उपखनिज (परिहार) नियमावली की राजपत्रित अधिसूचना जारी हो गई है। संशोधनों के तहत खनन पट्टों की जांच, आकलन व सीमांकन करने के लिए अब एसडीएम की गैरहाजिरी में तहसीलदार या उपतहसीलदार भी अधिकृत होंगे। इसके लिए उन्हें खनन निदेशालय से एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अपील व पुनर्निरीक्षण शुल्क को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। जबकि खनन पट्टे की सबसे ऊंची बोली लगाने वाले निविदादाता को 15 दिन में कुल रायल्टी की 25 प्रतिशत धनराशि 15 दिन के भीतर जमा करानी होगी। यदि ऐसा करने में वह नाकाम रहा तो दूसरी सबसे अधिक बोलीदाता को उसी निविदा दर पर पट्टा मिलेगा।
वहीं इस नियमावली के तहत अब प्रदेश में अवैध खनन पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि को घटा दिया गया है, जबकि मैदानी जिलों में नदी तल के खनन पट्टों के आवेदन व नवीनीकरण शुल्क को एक लाख से बढ़ाकर दो लाख कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि पांच हेक्टेयर के पट्टे के लिए पांच साल और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टों के लिए 10 वर्ष तय की गई है। अब खनन पट्टों को ट्रांसफर करने पर सरकार शुल्क वसूलेगी। पांच हेक्टेयर के पट्टे पर दो लाख रुपये और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टे पर पांच लाख रुपये शुल्क लगेगा। फर्म के किसी सदस्य को बदलने पर भी दो लाख रुपये शुल्क लगेगा।
गौरतलब है कि अभी तक अवैध खनन पर पांच गुना जुर्माने का प्रावधान था। लेकिन यह आसानी से अदा नहीं हो रहा था और ऐसे प्रकरण न्यायालय में जाकर लंबे खिंच रहे थे। ऐसे में अब जुर्माना राशि को घटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि अवैध खनन करने वालों से पांच गुना जुर्माना वसूलने के बजाय अब इसे घटाकर दो गुना कर दिया गया है। दूसरी बार पकड़े जाने पर यह तीन गुना होगा और इसके बाद यह तीन गुना ही रहेगा।