नितिन गडकरी का मेगा प्लान : गांव-गांव में लगेगी गोबर से पेंट बनाने वाली फैक्ट्री

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नई दिल्ली (महानाद) : देश के एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी देश के हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसके लिए उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय खास प्लान तैयार करने में जुटा है। गोबर से पेंट बनाने वाली एक फैक्ट्री को खोलने में 15 लाख रुपये का खर्च आता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का सपना साकार हुआ तो हर गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने से शहरों की तरफ पलायन की समस्या खत्म हो जायेगी।

गडकरी ने बताया कि गोबर से बना अनोखा पेंट लांच होने के बाद इसी मांग काफी तेजी से बढ़ी है। इसकी ट्रेनिंग जयपुर में दी जा रही है। ट्रेनिंग के लिए इतने आवेदन आए हैं कि सबकी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है। 350 लोग अभी वेटिंग लिस्ट मे हैं। यह ट्रेनिंग 5-7 दिनों की होती है। ऐसे में हम ट्रेनिंग सुविधा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ट्रेनिंग लेकर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खोल सकें। हर गांव में एक फैक्ट्री खुलने से ज्यादा रोजगार पैदा होगा।

बता दें कि दरअसल, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने विगत 12 जनवरी 2021 को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से तैयार गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लांच किया था। यह पेंट इकोफ्रेंडली है। यह पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ ही फफूंद-रोधी तथा जीवाणु-रोधी गुणों वाला है। गाय के गोबर से बने और भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित, यह पेंट गंधहीन है। यह पेंट डिस्टेंपर तथा प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट के दो रूपों में उपलब्ध है।

विदित हो कि गडकरी ने पिछले साल मार्च 2020 से गोबर से पेंट बनाने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को प्रेरित किया था। आखिरकार, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की जयपुर में स्थित यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इस तरह के अनोखे पेंट को तैयार करने में सफलता हासिल की। इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का असर नहीं है। गोबर से पेंट बनने के कारण गांवों में गोबर की खरीद भी बढ़ेगी।

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ एक मवेशी के गोबर से किसान हर साल 30 हजार रुपये कमाएंगे। अभी तक किसान गोबर का सिर्फ खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, गांव-गांव पेंट की फैक्ट्रियां खुलने के बाद गोबर की खरीद का भी एक तंत्र विकसित हो जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

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