सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एम्स ऋषिकेश ने अब प्रत्येक रोगी में क्षय रोग की जांच करने का निर्णय लिया है। अस्पताल में भर्ती मरीजों सहित ओपीडी में आने वाले प्रत्येक रोगी को इसके दायरे में लाया जायेगा।
भारत सरकार के राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अनुरूप एम्स ऋषिकेश अब अस्पताल में आने वाले सभी रोगियों के लिए अनिवार्य रूप से तपेदिक (टीबी) की जांच शुरू करने जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र में टीबी (क्षय रोग) पर नियंत्रण और उसका शीघ्र निदान व उपचार को सुनिश्चित करना है। इस संबन्ध में जानकारी देते हुए एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि नयी व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने और रोगी को चिन्हित करने के लिए विशेष फार्मेट तैयार किया गया है। प्रोटोकाॅल के तहत बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी), विभिन्न वार्डों (आईपीडी) और विशेष क्लीनिकों में आने वाले सभी रोगियों से टीबी लक्षणो के बावत व्यापक पूछताछ कर उक्त फॉर्मेट में अंकित करना अनिवार्य किया गया है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखण्ड के जारी निर्देशों के अनुपालन में ओपीडी में आने वाले प्रत्येक रोगी की जांच और उसे आवश्यक परामर्श देते वक्त सम्बन्धित डाॅक्टर द्वारा रोगी से टीबी के लक्षणों के बारे में भी पूछा जायेगा। प्राप्त लक्षणों के आधार पर डाॅक्टर को टीबी मरीजों के पर्चे पर मुहर लगानी होगी ताकि चिन्हित रोगी का इलाज समय रहते शुरू किया जा सके।
प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि इसका उद्देश्य टीबी के संकेत देने वाले किसी भी लक्षण की पहचान करना, समय पर निदान और पर्याप्त इलाज की सुविधा प्रदान करना है। उल्लेखनीय है कि एम्स के पल्मोनरी विभाग के अधीन संचालित ओपीडी में टीबी रोगियों की जांच और उनके उपचार की सुविधा पहले ही उपलब्ध है। अब संस्थान की यह नयी पहल तपेदिक से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बढ़ावा देने में कारगर सिद्ध हो सकेगी।