मामा के लड़के के मोबाइल में सिम डालकर की अश्लील पोस्ट, फिर सिम निकालकर तोड़कर फेंकी, कोर्ट ने कहा राम कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान

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प्रयागराज (महानाद) : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील पोस्ट करने के एक मामले में आरोपी आकाश जाटव को 10 महीने बाद सशर्त जमानत देते हुए कहा कि हमें दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है। भगवान राम के बिना भारत अधूरा है। हम जिस देश में रह रहे हैं, उस देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है। कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने कहा हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की रही है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चित दुःख भाग भवेत।

हम ऐसी कामना करने वाले लोग हैं। कोर्ट ने भगवान राम व कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसे अपराध न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि याची विगत 10 महीने से जेल में बंद है और विचार शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद। इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस के आकाश जाटव की अर्जी पर दिया है।

मामले में याची आकाश जाटव का का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर अश्लील पोस्ट डाली। वह निर्दाेष है। उसने तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद अपने मामा के घर गया था। जहां उसे अपना सिम कार्ड अपने मामा के लड़के के मोबाइल में डालकर भगवान राम व कृष्ण के खिलाफ अश्लील पोस्ट डाली है और एफआईआर दर्ज होते ही उसने मोबाइल फोन व सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया।

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान में जो मूल अधिकार दिए गए हैं। उन्हीं में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है। संविधान बहुत उदार है। धर्म न मानने वाला व्यक्ति नास्तिक हो सकता है। लेकिन उसे इससे किसी दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह अपराध है।

हाई कोर्ट ने कहा ईद पर गौवध पर पाबंदी है। वध करना अपराध है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है। अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है। राज्य में सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि अपराध है।

कोर्ट ने कहा हमारे ऋषि मुनियों ने इंसान को भगवान बनने के रास्ते दिखाएं हैं। टैगोर जी ने कहा कि रामायण महाभारत में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं। महात्मा गांधी के जीवन में भी राम का महत्व रहा है। सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती। सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही संदेश दिया गया है।

भगवत गीता में कर्म फल सिद्धांत का वर्णन है। आत्मा अमर है। वह कपड़े की तरह शरीर वैसे बदलती है, जैसे बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूंढ़ लेता है। मन शरीर का हिस्सा है। सुख दुख का अहसास शरीर को ही होता है। भगवान कृष्ण ने कहा कर्म पर ध्यान दो,फल मुझ पर छोड़ो। वसुधैव कुटुंबकम् के भाव अन्य किसी भी देश में नहीं है।

धर्म रक्षार्थ भगवान आते हैं। धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं। भारतीय संविधान में भी भगवान राम सीता के चित्र अंकित है। ऐसे में राम कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है। हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं। रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह नज़ीर अकबराबादी, राम कृष्ण भक्त रहे हैं। राम कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है।

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