देहरादून (महानाद) : भाजपा ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाकर तीरथ सिंह रावत को सत्ता तो सौंप दी है लेकिन सत्ता की राहें आसान नहीं होती। उनके सामने कई समस्यायें सामने खड़ी हैं जिनसे पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने की होगी। मुख्यमंत्री के पास इसके लिए केवल कुछ महीने ही बचे हैं। बेलगाम हो चुकी नौकरशाही को साधकर भाजपा की नीतियों को धरातल पर उतारना बेहद मुश्किल कार्य साबित होगा।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही सबसे पहला सिरदर्द जो साबित हो रहा है वह है अपने मंत्रीमंडल का गठन करना। जहां उन्हें अपनों को खुश करना है वहीं पुराने मंत्रीमंडल के मंत्रियों को कैसे मैनेज करेंगे इससे उनके राजनीतिक कौशल पता चलेगा। वहीं कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना। उनको सम्मान दिलाना। अफसरशाही का कार्यकर्ताओं की न सुनने की शिकायतों का समाधान करना। ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति करना जो भाजपा की नीतियों को धरातल पर उतारने में सहायक हो सकें, इन सभी कार्याें को तुरंत ही करना है।
वहीं बता दें कि एनडी तिवारी की सरकार के बाद जिस की भी सरकार रही ज्यादातर मुख्यमंत्री की ही चली। मंत्री मात्र पद नाम बन कर रहे। ज्यादातार मंत्रियों की शिकायत रहती है कि अफसर उनकी नहीं सुनते। ऐसे में क्या तीरथ रावत मंत्रियों को भी ताकतवर बना पायेंगे?
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की गैरसैंण को तीसरा मंडल बनाने से पार्टी नेता ही खुश नहीं हैं। ऐसे में गैरसैण को मंडल बनाने की घोषणा को पलटना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
उधर, उत्तराखंड में कुंभ मेले का सफल आयोजन करना एक बड़ी चुनौती है। कोरोना के भय से जहां तरह-तरह की बंदिशें लगाई गई हैं। वहीं कुंभ को भव्य तरीके से संपन्न कराना भी एक बड़ी चुनौती है। 12 साल में एक बार पड़ने वाले कुंभ में पूरे देश की आस्था है और लाखों-करोड़ो श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाना चाहते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री उनके लिए क्या इंतजाम करते हैं ये देखने की बात होगी।
चूंकि मुख्यमंत्री अभी पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं ऐसे में विधानसभा का उपचुनाव लड़कर जीतना भी एक चुनौती होगा। क्योंकि पूरा विपक्ष चाहेगा कि वह उन्हें न जीतने दे।
सड़कों का निर्माण, सुस्त रफ्तार से बन रहे हाइवेज को गति देना। आवागमन के साधनों को सुदृढ़ बनाना। मैदानी इलाकों में जिला विकास प्राधिकरणों को खत्म करना। खनन की ऐसी नीति लाना जिससे जनता को मकान बनाने के लिए सस्ता रेता-बजरी मिल सके जैसी सैकड़ों समस्यायें हैं जिनका समाधान खोजकर भाजपा को 2022 में दोबारा सत्ता में स्थापित करना एक महा चुनौती है।