उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ के आस्तित्व को लेकर शासन-प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। यहां एक और जहां जमीन धंसने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। तो वहीं मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने शनिवार को अपने अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में पीआइएल दाखिल की है। याचिका में त्वरित और कारगर कदम उठाने के आदेश केंद्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को देने की गुहार लगाई गई है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार जोशीमठ शहर और उसके आसपास के इलाकों में भूधंसाव और घरों में दरारें आने का क्रम जारी है। कुछ अन्य घरों में भी दरारें उभर आई हैं। इससे समूचे क्षेत्र में दहशत है।जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में भूधंसाव बढ़ता जा रहा है। जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव के कारण ज्योर्तिमठ और भगवान बदरीनाथ के शीतकालीन प्रवास स्थल को भारी नुकसान पहुंचा है। क्षेत्र के ऐसे हालात पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए है। याचिका में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के साथ उनको आर्थिक मदद मुहैया कराने का भी आदेश देने का आग्रह कोर्ट से किया गया है।
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि भू धंसाव की जद में ढाई हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन मठ भी आ गया है। पूरा क्षेत्र इससे दहशत में है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसके लिए त्वरित उपाय क्रियान्वित करने का आदेश जारी करे। याचिका में इस क्षेत्र की जनता के जन-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भूस्खलन, भू-धंसाव, भूमि फटने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए उसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में घोषित करने की मांग की।