Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग विकराल रूप ले रही है। नैनिताल के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। शनिवार के दिन इस हेलीकॉप्टर ने भीमताल झील से पानी भरा और इसकी मदद से जंगल में लगी आग को काबू करने की कोशिश की जाएगी। नैनिताल के जंगल में लगी आग को 36 घंटे हो चुके हैं, लेकिन अब तक वन विभाग इसे काबू में नहीं कर पाया है। इसी वजह से वन विभाग ने भारतीय थल सेना और भारतीय वायुसेना से मदद मांगी है। इस आग ने अब तक नैनिताल में कई हेक्टेयर में फैले जंगल को जलाकर खाक कर दिया है।
जंगल में लगी आग अब रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है। इसी वजह से इसे काबू करने के लिए सेना की मदद ली जा रही है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए। नैनी झील में नौकायान पर रोक लगा दी गई है। नैनीताल डिविजन के वन अधिकारी चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि मोरना रेंज के 40 कर्मी और दो फॉरेस्ट रेंजर आग बुझाने के काम पर लगा दिए गए हैं।
आग की लपटें नैनीताल हाईकोर्ट कॉलोनी तक पहुंच गई हैं। नैनीताल भवाली रोड पर पाइंस के जंगलों में आग लगने से पूरी सड़क पर धुआं छाया हुआ है। आईटीआई भवन भी आग की चपेट में आ चुका है। पिछले 24 घंटों में उत्तराखंड में आग लगने के 31 नए मामले सामने आए हैं। 33.34 हेक्टेयर के जंगल जलकर खाक हो चुके हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी अधिकारियों से सतर्क रहने और सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने सभी विभाग के अधिकारियों को समन्वय बनाए रखने के लिए कहा है।
गर्माी के मौसम में जंगलों में आग लगना आम बात है। अक्सर पेड़ों के सूखे तने हवा चलने पर आपस में घिसते हैं और इससे आग लग जाती है। हालांकि, शुक्रवार को रूद्रप्रयाग में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो जंगल में आग लगाने की कोशिश कर रहे थे। इनमें से एक युवक ने पूछताछ के दौरान कहा है कि भेड़ चराने के लिए उसे घास की जरूरत थी। इस वजह से उसने जंगल में आग लगा दी। उत्तराखंड में पिछले साल नवंबर से लेकर अब तक आग लगने के 575 मामले सामने आए हैं। इससे 589.89 हेक्टेयर के जंगल प्रभावित हुए हैं और सरकार को 14 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।