जोधपुर (महानाद) : 12 साल पहले हुए बाल विवाह के बंधन को न मानने वाली 22 साल की युवती ने पंचायत के 25 लाख रुपए के जुर्माने के डर से जहर पी लिया। जिसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।
लोहावट के धोलासर निवासी पूनाराम विश्नोई ने बताया कि समाज के दबाव में उसने 12 साल पहले अपनी नाबालिक पुत्री सरला विश्नोई (अब 22 वर्ष) की शादी उससे 14 साल बड़े राजूराम से कर दी थी। तब से सरला का गौना नहीं हुआ था। सरला जब 18 साल की हुई तो ससुराल के लोग उसे ससुराल बुलाने के लिए दबाव बनाने लगे लेकिन युवती ने जाने से मना कर दिया।
पूनाराम ने बताया कि सरला के ससुराल वाले विगत 4 महीने से सरला को घर से उठा ले जाने की धमकी दे रहे थे। कुछ दिन पहले वे गांव के लोगों को लेकर उसके घर पहुंच गए और सरला को ससुराल न भेजने पर 25 लाख का जुर्माना लगाने की बात कहने लगे। 19 नवंबर को सरला के पिता पूनाराम ने जाम्बा थाने में ससुरालियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।
युवती के ससुरालियों ने 10 दिसंबर को पंचायत बुलाने का ऐलान किया था। लेकिन इससे पहले 9 दिसंबर को सरला ने खेत में जाकर जहर पी लिया। जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे फलौदी के पीएचसी में भर्ती कराया गया। जहां से उसे जोधपुर के मथुरा दास माथुर अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसी दौरान किसी ने सीएम हेल्पलाइन 181 से सखी वन स्टॉप सेंटर पर सरला के बारे में सूचना दी। जिस पर सखी वन स्टॉप सेंटर की प्रबंधक निशा गौड़ व परामर्शदाता पिंकी पंडित तथा एमडीएम अस्पताल पहुंचे और सरला से उसकी इच्छा के बारे में पूछताछ की।
सरला ने निशा गौड़ और पिंकी पंडित से कहा कि मैडम, मैं जीना चाहती हूं। अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं। भूगोल में एमए कर रही हूं। मुझे बाल विवाह मंजूर नहीं। जब ससुराल जाने से मना किया तो परिवार को धमकियां मिलीं। सोचा था मैं ही नहीं रही तो पिता की परेशानी दूर हो जाएगी। निशा गौड़ ने सरला को हर प्रकार से सहायता का आश्वासन दिया है तथा बाल विवाह से मुक्ति के लिए एडवोकेटउपलब्ध कराने की बात भी कही है। वहीं चाइल्ड हेल्पलाइन के चेयरमैन धनपत गुर्जर ने जाम्बा पुलिस से सरला को प्रोटेक्शन देने की बात कही है।
वहीं, सखी वन स्टॉप सेंटर की प्रबंधक निशा गौड़ ने बताया कि बाल विवाहिता 20 साल की उम्र से पहले-पहले अपना विवाह निरस्त करवा सकती है। 20 साल या उससे अधिक उम्र होने के बाद तलाक की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जागरूकता के अभाव में बाल विवाहिता कानून की शरण नहीं ले पाती। यदि सरला 20 साल की होने से पहले जागरूकता दिखाती तो कोर्ट के आदेश पर उसका बाल विवाह निरस्त हो जाता और उसे इस पीड़ा से न गुजरना पड़ता।