गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को रेल लाइन से जोड़ने वाली सुरंगों में होगी ये खासियत, आसान होगा सफर…

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उत्तराखंड में कई परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इसमें एक योजना गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को रेल लाइन से जोड़ने वाली भी है। इस परियोजना की खासियत ये है कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को रेल लाइन से जोड़ने वाली सुरंगों में ट्रेन और वाहन एक साथ दौड़ सकेंगे। बताया जा रहा है कि इसके लिए सुरंगों में ट्रैक और वाहनों के लिए सड़क साथ-साथ बनाई जाएगी।

उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री को रेल लाइन से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। जहां रेल विकास निगम लिमिटेड ने गंगोत्री व यमुनोत्री धाम को रेल लाइन से जोड़ने की योजना बनाई है। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर रेलवे बोर्ड परियोजना से संबंधित डाटा साझा करने के लिए तैयार हो गया है। बताया जा रहा है कि राजधानी देहरादून के डोईवाला क्षेत्र से शुरू होकर रेलवे ट्रैक करीब 22 पुलों व 22 सुरंगों से गुजरेगा। इस दौरान रास्ते में 10 स्टेशन भी होंगे, जिसमें दो लूप लाइन स्टेशन भी होंगे। साथ ही गंगा घाटी में मातली व यमुना घाटी में बड़कोट लूप लाइन स्टेशन होंगे।

बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट में गंगोत्री व यमुनोत्री धाम को रेल लाइन से जोड़ने के लिए देश की सबसे लंबी रेल सुरंग का निर्माण भी प्रस्तावित है। सर्वेक्षण और तकनीक जांचों के बाद 121.76 किमी लंबी रेलवे के लिए करीब 29 हजार करोड़ की फाइनल डीपीआर रेलवे बोर्ड दिल्ली भेज दी गई है। इसमें से 70 प्रतिशत ट्रैक सुरंगों के अंदर होगा। डोईवाला से शुरू होकर ट्रेन भानियावाला, रानीपोखरी, जाजल, मरोड़, कंडिसौड़, सिरोट, चिन्यालीसौड़, डुंडा से मातली पहुचेगी व यमनोत्री के लिए नंदगांव बड़कोट आखिरी रेलवे स्टेशन होगा।

वहीं बताया जा रहा है कि यह सुरंग रानीपोखरी के पास से शुरू होकर झील के पास कोटी कालोनी (टिहरी) तक प्रस्तावित है। जिसकी कुल लंबाई करीब 35 किमी होगी। एनएचएआई को अलग से सुरंग नहीं बनानी पड़े, इसलिए इसे रेलवे की परियोजना के साथ जोड़ने की कवायद शुरू की गई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो ये योजना जल्द धरातल पर नजर आएगी। इसको बनाने के लिए टनल बोरिंग पर मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा सुरंग निर्माण के लिए ड्रिल और ब्लास्ट तकनीक का भी इस्तेंमाल किया जाएगा।

 

 

 

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