देश में लागू हुआ वक्फ संशोधन अधिनियम, केन्द्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

0
536

नई दिल्ली (महानाद) : वक्फ संशोधन अधिनियम आज से देश में लागू हो गया। केंद्र सरकार ने आज इसकी अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि की है कि वक्फ अधिनियम आज मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गया है।

आपको बता दें कि बजट सत्र के दौरान सरकार ने इसे लोकसभा और राज्यसभा में पास करा कर राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन अधिनियम को मंजूरी दे दी थी। इसे बजट सत्र के दौरान संसद ने पारित किया था। कानून मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि राष्ट्रपति ने दोनों विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है।

बता दें कि लोकसभा में 288 सांसदों ने इसके पक्ष में तथा 232 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया था जबकि राज्यसभा में 288 सांसदों ने इसके पक्ष में तथा 232 ने इसके विरोध में मतदान किया था।

क्या हुए बदलाव –
1. अब हर कोई अपनी संपत्ति ‘वक्फ’ नहीं कर सकेगा। कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता का खंड हटाते हुए साफ किया गया है कि वक्फ संपत्ति से संबंधित मामले अब पूर्वव्यापी तरीके से नहीं खोले जाएंगे, जब तक कि वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति न हों। इसके अलावा वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का समर्थन किया गया है ताकि वे वक्फ मामलों में रुचि रखने वाले या विवादों में पक्षकार बन सकें।

2. नए कानून में वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम और कम से कम 2 महिला सदस्यों को नामित किया जाना प्रस्तावित है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन एमपी, दो पूर्व न्यायाधीश, 4 राष्ट्रीय ख्याति के व्यक्ति और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होंगे, जिनमें से कोई भी इस्लाम धर्म से संबंधित नहीं होगा।

3. अगस्त 2024 में संसद में जो विधेयक पेश किया गया था, उसमें वक्फ से जुड़े विवादों के मामलों में जिला कलेक्टर को जांच की शक्ति दी गई थी। हालांकि, जेपीसी ने जिला कलेक्टर वाली शक्ति को खत्म करने पर सहमति जता दी और राज्य सरकार को अब इन मामलों की जांच करने के लिए एक सीनियर अधिकारी नामित करने का अधिकार देना प्रस्तावित कर दिया है।

4. मौजूदा कानून के तहत हर रजिस्टर्ड वक्फ संपत्ति की जानकारी आज से 6 महीने के अंदर सेंट्रल डाटाबेस में देना जरूरी है। इतना ही नहीं डाटाबेस में किसी भी सरकारी संपत्ति को डीएम के पास चिह्नित किया जाएगा, जो कि बाद में इस मुद्दे पर जांच कर सकेंगे। यदि वक्फ संपत्ति को केंद्रीय पोर्टल में नहीं डाला जाता है तो इससे वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण होने या विवाद पैदा होने पर अदालत जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा। हालांकि, एक अन्य स्वीकृत संशोधन अब मुतवल्ली (कार्यवाहक) को राज्य में वक्फ न्यायाधिकरण की संतुष्टि बाद कुछ स्थितियों में पंजीकरण के लिए अवधि बढ़ाने का अधिकार देगा।

5. वक्फ कानून, 1995 के तहत वक्फ न्यायाधिकरण को सिविल कोर्ट की तरह काम करने की स्वतंत्रता दी गई थी। इसका फैसला अंतिम और सर्वमान्य माना जाता था और इन्हें किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी सकती थी। ऐसे में वक्फ न्यायाधिकरण की ताकत को सिविल अदालत से ऊपर माना जाता था। अब वक्फ न्यायाधिकरण में एक जिला जज होगा और एक संयुक्त सचिव रैंक का राज्य सरकार का अधिकारी सदस्य के तौर पर जुड़ा होगा। न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम नहीं होगा और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here