फिर टूटा विदेश जाने का सपना, गंवाये 17 लाख 65 हजार

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विकास अग्रवाल
रुद्रपुर (महानाद) : दर्जनों युवकों की तरह एक और युवक का विदेश जाने का सपना टूट गया और उसने 17 लाख 65 हजार रुपये गंवा दिये। एसएसपी के आदेश पर पुलिस ने युवक के पिता की तहरीर के आधार पर इमीग्रेशन संटर के मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

ग्राम शादीनगर हजीरा, तहसील स्वार, थाना मिलक खानम, जिला रामपुर, उत्तर प्रदेश निवासी अनिल शर्मा पुत्र मनोहर लाल ने एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि वह दिनांक 1.9.2023 को अपने पुत्र दिप्यांश शर्मा को विदेश में उच्च शिक्षा दिलाये जाने हेतु स्टडी वीजा हेतु वह आशीर्वाद काम्पलेक्स, रुद्रपुर स्थित टोटल इमीग्रेशन के मालिक इन्द्रजीत बैन्स उर्फ विक बैन्स से मिला। जिन्होंने बताया कि उनके पुत्र को इंग्लैण्ड या कनाडा में अच्छे कॉलेज में उच्च शिक्षा दिलवाने हेतु स्टडी वीजा दिलवा दिया जायेगा। उनके पुत्र दिप्यांश का वहां की यूनिवर्सिटी में एडमिशन कराकर उसकी फीस भी हमारे द्वारा जमा करवा दी जायेगी, जिसमें करीब 20-22 लाख रूपये का खर्च आयेगा। जिसका विवरण हम आपको पूरा दे देगें।

इन्द्रजीत बैन्स ने उनसे कहा कि मेरी पत्नी कनाडा की पीआर है और मैं कनाडा में आता-जाता रहता हूँ, हमारी विदेश दूतावास में अच्छी पकड़ है और हमारे द्वारा कई लोगों को हर प्रकार के वीजा दिलवाये गये हैं। मैं इण्डिया का काम देखता हूँ और मेरी पत्नी वीजा दिलाये जाने हेतु विदेश दूतावास से काम कराती है।

अनिल शर्मा ने बताया कि इन्द्रजीत ने उन्हें और उसके पुत्र को अपने प्रलोभन में ले लिया, जिसके बाद उनकी आपस में बातची होने लगी। इन्द्रजीत द्वारा व्हाट्सऐप पर उनके पुत्र को खर्च का विवरण भी भेजा गया। जिसके बाद इन्द्रजीत सिंह बैन्स उर्फ विक बैन्स के कहने पर उन्होंने अपनी पत्नी अनीता शर्मा के बैंक खाते से दिनांक 08.09.2023 को उक्त इन्द्रजीत सिंह बैन्स के खाते में 2 लाख रुपये ट्रान्सफर किये, दिनांक 25.09.2023 को पुनः 3,15,000 रुपये और 4 लाख रुपये ट्रान्सफर किये गये तथा दिनांक 4.03.2024 को 50,000 रुपये गूगल-पे के माध्यम से इन्द्रजीत सिंह बैन्स के खाते में ट्रान्सफर किये गये।

अनिल शर्मा ने बताया कि इसके बाद इन्द्रजीत सिंह बैन्स ने उनसे कहा कि तुम्हारे लड़के की मार्क्सशीट डुप्लीकेट बनवानी पड़ेगी तभी विदेश का स्टडी वीजा मिलेगा जिसके लिये तुम्हें 1 लाख रुपये अलग से नकद देने पड़ेंगे तब उसकी बातों पर विश्वास कर 1 लाख रुपये दिनांक 10.03.2024 को दे दिये। जिसके बाद उक्त इन्द्रजीत सिंह ने उनके पुत्र से कहा कि कि तुम्हारा ऑफर लेटर आ गया है एवं फीस जमा करनी है जिसके लिये तुम्हें 4 लाख रुपये नकद देने होंगे जिस पर उन्होंने उसे 4 लाख रुपये नकद दे दिये। जिसके उपरान्त उक्त इन्द्रजीत सिंह बैन्स द्वारा उन्हें एक वीजा भी दिया गया और कहा कि तुम्हारी टिकट करानी है तुम हमें 3 लाख रुपये ओर दे दो, बाकी रकम तुम्हारी टिकट आने पर व विदेश हेतु फ्लाईट में जाने पर देनी होगी।

अनिल शर्मा ने बताया कि उक्त इन्द्रजीत सिंह बैन्स द्वारा उनके पुत्र को फीस जमा की रसीद एवं वीजा दिया गया, जब उन्होंने उनकी जांच करायी गयी तो उक्त दोनों कागजात भी फर्जी पाये गये। जिसके बाद उन्होंने इन्द्रजीत सिंह बैन्स से सम्पर्क किया गया तो उसने उनके साथ अभद्रता की और कहा कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हो, मेरी पहुँच ऊपर तक है, जिसके बाद उनके द्वारा कई पंचायतें की गईं जिसमें उक्त इन्द्रजीत सिंह द्वारा उनसे ली गई रकम को वापस करने का आश्वासन दिया गया, परन्तु आज दिन तक उसने उनकी रकम वापिस नहीं लौटाई और अब लगातार धमकी दे रहा है कि अगर तुमने रकम वापिस मांगी या कोई कानूनी कार्यवाही की तो तुम्हें जान से मरवा दूंगा। उन्होंने एसएसपी से अपनी रकम वापिस दिलवाने और इन्द्रजीत सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

एसएसपी मणिकांत मिश्रा के आदेश पर पुलिस ने इन्द्रजीत सिंह बैन्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच एसआई होशियार सिंह के सुपुर्द की है।

सलाह : विदेशों में अच्छी जिंदगी जीने के भ्रम में लाखों रुपये खर्च करने वाले युवा यदि उक्त पैसों से भारत में ही कोई कारोबार कर लें तो वे वहां से ज्यादा अच्छी जिंदगी जी सकते हैं तथा अपने मां-बाप के पास रहकर उनकी सेवा कर सकते हैं। वरना जो लोग अपने मां-बाप की मेहनत की कमाई के जरिये विदेश जाते हैं उनमें से ज्यादातर अपने मां-बाप का दाह संस्कार करने भी नहीं आ पाते। वहीं जैसे विदेशों में अपना तन-मन काटकर पैसे जोड़ते हैं ऐसे ही यदि कुछ साल यहां भी कर लें तो भारत में ही उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं होने वाली। विदेश का सपना एक मृग मरीचिका है जिसमें फंसकर लोग जब विदेश पहुंच जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि इससे अच्छे तो वे अपने भारत में ही थे। वहां अपना कोई नहीं और यहां अपनों की कमी नहीं।

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