टिहरी (महानाद) : मौसम विभाग ने 26 जून के बाद उत्तराखंड में मानसून के आने का अलर्ट जारी कर दिया है। सरकार भी अलर्ट जारी होने के बाद तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त होने का दावा कर रही है। मगर हकीकत कुछ और ही इशारा कर रही है। बात करें यदि जनपद टिहरी गढ़वाल की तो पूरे जनपद में पटवारी के 183 पद स्वीकृत हैं। जिसमें 71 पद अभी खाली पड़े हैं। ऐसे में आपदा के दौरान पटवारी की कम संख्या सरकार को भारी पड़ सकती है।
जनपद टिहरी गढ़वाल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003/2004 से अभी तक जनपद में खाली पड़े पटवारी के पदों पर भर्तियां नहीं हुई है। 183 पद में से 112 पद पर ही पटवारी काम कर रहे हैं। आने वाला समय बरसात और आपदा का है। ऐसे में कम पटवारी होने की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपदा जैसे संकट में हर जगह पटवारियों को मौजूद होना बेहद जरूरी है।
नरेंद्र नगर एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी के मुताबिक कई पटवारी ऐसे हैं जिन पर तीन तीन दर्जन से अधिक गांव की जिम्मेदारी है। जिसने उन्हें सुरक्षा से लेकर तमाम व्यवस्थाओं पर निगरानी रख अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजनी पड़ती है। यही नहीं वीआईपी ड्यूटी के दौरान भी पटवारियों की मदद ली जाती है। पटवारियों की व्यस्तता के चलते जनता के कई काम भी प्रभावित होते हैं।
इन सब बिंदुओं पर यदि नजर डाली जाए तो आसानी से समझा जा सकता है कि पटवारी की कम संख्या का नुकसान आखिरकार किस को उठाना पड़ेगा। सरकार यदि अपने दावों के हकीकत की पोल बरसात के दौरान खुलती हुई नहीं देखना चाहती तो जल्द से जल्द जनपद की ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में रिक्त पड़े पटवारियों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। जिससे सरकार आपदा के दौरान आसानी से लोगों तक मदद पहुंचा सके और कई युवाओं को रोजगार भी मिल सके।