उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर शासन-प्रशासन मुस्तैद है। बताया जा रहा है कि अपर मुख्य सचिव आनन्दवर्धन की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की आज बैठक हुई है। बैठक में कई मुद्दों पर बात हुई। जिसमें जोशीमठ क्षेत्र में हो रहे भूधंसाव व भूस्खलन के कारण प्रभावित परिवारों के पुनर्वास एवं विस्थापन के लिए चमोली डीएम ने तीन विकल्प प्रस्तुत किये। इन विकल्पों पर कैबिनेट बैठक में फैसला हो सकता है। आइए जानते है क्या बन रहा है प्लान…
पुनर्वास / विस्थापन का पहला विकल्प
पहले विकल्प में प्रभावित भू-भवन स्वामियों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुये वन टाईम सेटलमेन्ट किया जायेगा। प्रभावित हुए भूमि/भवन की क्षति के मुआवजे के रूप में वन टाइम सेटलमेन्ट करते हुए भूमि/भवन का निर्धारित मानकों के अनुसार भुगतान किया जाएगा। सम्पूर्ण भुगतान करने से पूर्व संबधित प्रभावित की भूमि /भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में की जानी होगी।
दूसरा विकल्प
दूसरे विकल्प के तहत प्रभावित भू-भवन स्वामियों को प्रभावित भूमि के सापेक्ष गृह निर्माण के लिए निश्चित अधिकतम क्षेत्रफल 100 वर्ग मी0 तक की भूमि प्रदान की जायेगी तथा प्रभावित भवन का मुआवजा दिया जायेगा। प्रभावित भू-भवन स्वामियों को 100 वर्ग मी0 से अधिक की भूमि होने पर शेष भूमि का मानकों के अनुसार भुगतान किया जायेगा। प्रभावित भूमि/भवन स्वामियों का संपूर्ण भुगतान करने से पूर्व व गृह निर्माण के लिये निश्चित अधिकतम क्षेत्रफल 100 वर्ग मी0 तक की भूमि आवंटित करने से पूर्व संबंधित आपदा प्रभावित की भूमि/भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में की जानी होगी।
तीसरा विकल्प
तीसरे विकल्प के तहत प्रभावितों के पुनर्वास हेतु चिन्हित स्थान पर अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की सीमा तक की भूमि पर भवन निर्माण कर दिया जायेगा। यदि प्रभावित आवासीय भवन/भूमि का मूल्यांकन प्रदान किये जा रहे भूमि/आवास से अधिक है तो शेष धनराशि का भुगतान प्रभावित को किया जायेगा। प्रभावित भूमि भवन के सापेक्ष अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की सीमा तक की भूमि पर भवन निर्माण कर आवंटित करने से पूर्व संबंधित आपदा प्रभावित की भूमि/भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में की जानी होगी।
ऐसे होगी स्थायी पुनर्वास की कार्यवाही
बताया जा रहा है कि चमोली डीएम द्वारा पुनर्वास के सम्बन्ध में प्रस्तावित उक्त तीन विकल्पों को उपयुक्त पाते हुए उक्त विकल्पों के सम्बन्ध में शासन स्तर पर माननीय मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किये जाने की संस्तुति की गयी है।रिपोर्ट मिलने के बाद प्रभावित परिवारों/व्यक्तियों से उक्त प्रस्तावित विकल्पों के अनुसार सहमति प्राप्त की जायेगी। तत्पश्चात स्थानीय स्तर पर पी.आई.यू स्थायी पुनर्वास की कार्यवाही की जाएगी।