उत्तराखड में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए धामी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2015 में बनाई गई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) नीति को 31 मार्च को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह सरकार ने एमएसएमई नीति 2023 को मंजूरी दी है। नई एमएसएमई नीति के तहत अब राज्य सरकार प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग लगाने पर 50 लाख से चार करोड़ रुपये तक की सब्सिडी देगी। आइए जानते हैं इस नीति के बारे में..
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार धामी सरकार ने कैबिनेट बैठक में नई एमएसएमई नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति में कई अहम बदलाव किए गए है। सरकार ने नई नीति में सेवा क्षेत्र को अलग कर दिया है, इसका लाभ केवल विनिर्माण उद्योगों के लिए मिलेगा। नई इकाई और न्यूनतम 7 सहायक (Ancillary) इकाईयों के साथ ही एससी, एसटी, महिला, दिव्यांग के स्वामित्व वाली इकाईयों को 5 फीसदी अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी।
बताया जा रहा है कि एमएसएमई 2015 नीति में इकाई के पूंजी निवेश का 15 प्रतिशत अधिकतम 15 लाख रुपये तक अनुदान मिलता था। वहीं, एमएसएमई नीति 2023 के तहत अब 50 लाख से चार करोड़ रुपये तक की सब्सिडी देने के साथ ही पांच के बजाए चार श्रेणियां बनाई गई हैं। नई उद्यम नीति के वैधता समाप्ति तक प्रदेश में 50 क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।
बताया जा रहा है कि इस नीति के तहत ए-श्रेणी में वे जिले शामिल हैं जो पूर्णतया पर्वतीय होने के साथ ही अधिकतम ऊंचाई वाले हैं। बी-श्रेणी में ऐसे पर्वतीय जिले होंगे, जो अपेक्षाकृत कम दुर्गम हैं। सी व डी मैदानी श्रेणी हैं। ए-श्रेणी में निवेश पर 50 लाख से चार करोड़, बी-श्रेणी में 40 लाख से तीन करोड़, सी-श्रेणी में 30 लाख से दो करोड़ और डी-श्रेणी में 20 लाख से 1.5 करोड़ तक सब्सिडी मिलेगी।
खास बात यह है कि स्थानीय स्तर के कच्चे माल का उद्योग लगाने वालों को सरकार 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देगी। जी हां बताया जा रहा है कि अब पर्वतीय जिलों के कच्चे माल आधारित जैसे फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट, फलों से शराब, पिरूल आधारित उद्योग लगाने वालों को सरकार द्वारा 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी।