विधानसभा चुनाव सिर पर, राजनीतिक पार्टिया घोषित नहीं कर पाई प्रत्याशी

0
654
  • क्षेत्र में मुकाबला केवल भाजपा सपा में ।
  • बसपा में नहीं है स्थानीय स्तर पर नेता, कांग्रेस तोड़ चुकी है दम।

गोविंद शर्मा
देवबंद (महानाद) : विधानसभा चुनाव आने में चंद महिने शेष हैं और सभी राजनीतिक दलों की बिसात भी बिछ चुकी है। लेकिन देवबंद विधानसभा क्षेत्र में इस चुनावी माहौल में भी गर्माहट नजर नहीं आ रही है। सभी राजनीतिक दलों के स्थानीय नेता अभी इस उहापोह में है कि उनकी पार्टी किसको चुनावी मैदान में उतारेगी। बहुजन समाज पार्टी में तो नाम घोषित करने की सुगबुगाहट है लेकिन भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में कौन उम्मीदवार होगा इसका कुछ अता पता नहीं है।

बता दें कि देवबंद विधानसभा सीट को राजपूत बहुल सीट का दर्जा आजादी के बाद से ही दिया जाता रहा है। लेकिन गैर राजपूत भी इस सीट पर जीते हैं। सबसे पहले इस मिथक को मौलाना उस्मान ने विधायक बन कर तोड़ा था। इनके बाद मनोज चौधरी और माविया अली भी विधायक रह चुके हैं। जनता चुनाव के लिए तैयार है, लेकिन उसको ऐसे प्रत्याशी की तलाश है जो आम आदमी की कसौटी पर खरा उतरे, क्षेत्र का विकास करे। वर्तमान विधायक सत्ता पक्ष के होने के बाद भी जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं और जनता हर हाल में इनसे छुटकारा चाहती है। वैसे देखा जाये तो इनमें कोई कमी नहीं है लेकिनु यह आम आदमी में अपनी पैठ नहीं बना पाये हैं।

आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध सभी दलों की लडाई है। जिनका मकसद केवल नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ को हराना है। विपक्ष ने कुर्सी के लिए मोदी योगी को खलनायक सिद्ध करने के लिए एडी चोटी के जोर लगाये हुए हैं। कांग्रेस इस क्षेत्र में अस्तित्व विहीन है और बसपा के पास नेताओं का अभाव है। इनके बाद समाजवादी पार्टी ही भाजपा की प्रतिद्वंदी पार्टी बचती है, जिसको इस बार सफलता मिलने का चांस बन सकता है। यदि उम्मीदवार जनता के बीच काम करने वाला हो।

समाजवादी पार्टी में चार चेहरे खासकर जनता के सामने आ रहे हैं, जो अपने आपको भावी सपा उम्मीदवार मान रहे हैं। सपा के टिकट की दावेदारी तो दर्जनों लोग कर रहे हैं लेकिन प्रमुख दावेदारों में स्व. राजेन्द्र राणा की धर्मपत्नी मीना राणा, इनके पुत्र कार्तिक राणा, माविया अली और शशिबाला पुंडीर हैं। इन दावेदारों के अतिरिक्त कई राजपूत तथा कई मुस्लिम भी लाईन में हैं। क्षेत्र की जनता की यदि बात की जाये तो उसका कहना है कि अखिलेश यादव को उम्मीदवार चयन करते हुए इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि जनता के बीच कौन है, कौन आम आदमी के लिए संघर्षरत रहता है तथा आम आदमी के कार्य कराता है। दूसरे सपा को मोदी योगी विरोधियों का भी खुला समर्थन मिलेगा, ऐसी स्थिति मे भाजपा और सपा में ही सीधा मुकाबला होगा ।

इस चुनावी महासंग्राम में भरतीय जनता पार्टी को विपक्ष से कड़ी टक्कर मिलने वाली है। भाजपा में टिकट के लिए दर्जनों लोग लाईन में लगे हुए हैं और टिकट किसको मिलेगा कोई नहीं जानता है। वर्तमान विधायक कु. ब्रजेश सिंह को क्षेत्र की जनता का समर्थन बहुत तेजी से घटा है। नये चेहरों में क्षेत्र से राजपूत, त्यागी और गुर्जर बिरादरी के लोग प्रयासरत हैं। यदि भाजपा का उम्मीदवार कोई ईमानदार युवा सामने आ रहा है तो वह इस सीट को बचा सकता है। वर्तमान में क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर है कि गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार हो सकते हैं।

बहरहाल अभी तक भी सपा और भाजपा का उम्मीदवार घोषित न होने से पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा है। कार्यकर्ता चाहता है कि उनकी पार्टी शीघ्र प्रत्याशी की घोषणा करे ताकि उनको चुनावी समर में जनता को पार्टी की नीतियों से अवगत कराने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here