#boycottdigitalattendance #बॉयकाटडिजिटलअटेंडेस ने ‘एक्स’ पर किया था जबरदस्त ट्रेंड, ट्रम्प पर हमले की न्यूज भी रह गई थी पीछे
महानाद डेस्क: आखिरकार योगी सरकार शिक्षकों के आगे झुक गई और सरकार ने डिजिटल अटेंडेंस लगाने का अपना फरमान वापिस ले लिया। आपको बता दें कि सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति को अनवार्य बनाने के लिए डिजिटल अटेंडेंस लगाने प्रावधान किया था। लेकिन जैसे ही आदेश जारी हुआ शिक्षक हड़ताल पर चले गये और उन्होंनें सामूहिक इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। शिक्षकों का कहना है कि जहां डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है वहीं पहले शिक्षकों की जरूरी मांगों पर ध्यान देने की भी जरूरत हैं।
आपको बता दें कि शिक्षकों के आंदोलन को दुनिया भर में जबरदस्त समर्थन मिला। #boycottdigitalattendance #बॉयकाटडिजिटलअटेंडेंस ने 14 जुलाई को दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक एक्स (ट्विटर) पर जबरदस्त ट्रेंड किया और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति पर हुए जानलेवा हमले की न्यूज को पीछे छोड़ दिया। जहां ट्रंप की न्यूज को 600के पोस्ट मिले वहीं बॉयकाटडिजिटलअटेंडेंस को 1.12 मिलियन पोस्ट मिले।
अब सरकार ने भी शिक्षकों के मिल रहे समर्थन और उनके आंदोलन को देखते हुए अपने कदम वापिस खींच लिये हैं। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग एवं शिक्षक संगठनों के साथ बैठक आयोजित की गई। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराना शासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। शिक्षा जगत में ट्रांसफार्मेशनल चेंज की जरूरत है। छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिये बगैर वर्ष 2047 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को नहीं प्राप्त किया जा सकता
बैठक में शिक्षकों की समस्याओं व सुझावों को सुनने के लिये एक एक्सपर्ट कमेटी को गठित करने का निर्णय लिया गया। यह कमेटी शिक्षकों की समस्याओं व सुझावों को सुनकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस कमेटी में शिक्षा विभाग के अधिकारी, शिक्षक संघ के सदस्य व शिक्षाविद् आदि शामिल होंगे। समिति शिक्षा के सभी आयामों पर विचार कर सुधार हेतु अपने सुझाव देगी। डिजिटल अटेंडेंस को अग्रिम आदेशों तक स्थगित रखा जायेगा। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जायेगा।
क्या हैं शिक्षकों की परेशानी –
1. शिक्षकों के परिजनों के निधन पर क्रियाकर्म करने के लिए कोई अवकाश देय नहीं है। इसलिए ईएल (अर्न लीव) जरूरी है।
2. शिक्षकों के विवाह हेतु कोई अवकाश देय नहीं है, उसे विवाह के लिए मेडिकल अवकाश लेना पड़ता है। इसलिए ईएल (अर्न लीव) जरूरी है।
3. विद्यालय अवधि में किसी आपात स्थिति के उत्पन्न होने पर कोई अर्द्ध दिवसीय अवकाश (हाफ डे लीव) का प्रावधान नहीं है।
4. असाध्य व्याध्यिों के निदान/उपचार हेतु न कोई विभागीय बीमा है ओर न ही कैशलैस चिकित्सा सुविधा।
5. प्रदेश के अन्य विभागीय कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को राज्य कर्मचारी नहीं माना जाता है।
शिक्षकों की सरकार से मांग –
1. 31 ईएल (अर्जित अवकाश) नवोदय, केंद्रीय विद्यालय शिक्षक एवं अन्य राजकीय विभागों की तरह प्रदान किये जायें।
2. शिक्षण अवधि में आने वाली आपात स्थिति हेतु 15 अर्द्ध दिवसीय (हाफ डे) अवकाश दिया जाये।
3. कैशलैस चिकित्सा सुविधा बिना प्रीमियम के अन्य सभी कर्मचारियों की भांति उपलब्ध करवाया जाये।
4. डिजिटल अटेंडेंस की व्यवहारिक समस्याओं हेतु विस्तृत डिजिटल नियमावली बनाई जाये।