दुखद : मासूमों पर टूट पड़े 20 कुत्ते, भाई की मौत, बहन गंभीर

0
1192

लखनऊ (महानाद) : ठाकुरगंज क्षेत्र के मुसाहिबगंज में घर के बाहर नगर निगम के स्कूल में खेल रहे मासूम भाई-बहनों पर 20 आवारा कुत्तों ने हमला बोल दिया। जिससे 7 साल के भाई की मौत हो गई तथा 5 साल की बहन जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है।

बता दें कि मुसाहिबगंज निवासी शबाब रजा प्लंबर का काम करता है। बुधवार सायं 5 बजे उसका 7 साल का बेटा मौ. रजा तथा 5 साल की बेटी जन्नत फातिमा घर के बाहर खेल रहे थे कि तभी आवारा कुत्तों के झुंड ने उन पर हमला कर नोचना शुरू कर दिया। बच्चों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोगों ने लाठी-डंडों से कुत्तों को भगाया लेकिन तब तक कुत्ते उन्हें बुरी तरह से नोंच कर घायल कर चुके थे।

बच्चों के परिजन दोनों को तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे जहां रजा को मृत घोषित कर दिया वहीं जन्नत की हालत नाजुक बनी है।

बच्चों के पिता शबाब ने बताया कि बच्चों की चीख सुनकर जब लोग स्कूल पहुंचे तो स्कूल का गेट बंद होने के कारण बच्चों तक पहुंचने में देरी हो गई। किसी तरह लोग दीवार व गेट फांदकर अंदर घुसे तब तक कुत्ते उनके बच्चों को बुरी तरह घायल कर चुके थे।

कुत्तों के हमले के कारण जैसे ही मासूम रजा की मौत की सूचना मिली, लोग आक्रोशित हो गए और नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। लोगों का आरोप है कि नगर निगम आवारा कुत्तों को पकड़ने का कोई इंतजाम नहीं करता है। वहीं, हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया।

वहीं, देर रात्रि शबाब रजा ने ठाकुरगंज थाने में दी तहरीर देकर हादसे के लिए नगर निगम जोन-6 के अधिकारी, नगर आयुक्त और महापौर को जिम्मेदार ठहराते हुए जिम्मेदार अधिकारी को सस्पेंड करने की मांग की। एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा ने जांच के बाद उचित कार्रवाई की बात कही है।

बता दें कि नगर निगम के प्राथमिक विद्यालय के आसपास मीट-मांस की कई दुकानें है। जिस कारण यहां आवारा कुत्तों का झुंड लगा रहता है। दुकानों के आसपास मीट फेंक दिए जाने से कुत्ते हिंसक हो गए हैं।

उधर, नगर निगम के संयुक्त निदेशक डॉ. अरविंद राव ने बताया कि घटना का पता करने के लिए टीम को भेजा गया है। नगर निगम कुत्तों की आबादी रोकने के लिए नसबंदी ही कर सकता है। इसके अलावा वह न तो इन्हें पकड़कर रख सकता है और न ही शहर से बाहर छोड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि एनिमल वेलफेयर के लिए बने कानून के तहत आवारा कुत्तों की सिर्फ नसबंदी की जा सकती है और इसके बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ने की बाध्यता है, जहां से पकड़ा गया। एनिमल वेलफेयर के लिए काम करने वाली निजी संस्थाएं कई बार कुत्ते पकड़ने पर नगर निगम को कोर्ट में घसीट चुकी हैं। इस समय रोजाना लगभग 100 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 60 हजार से ज्यादा है।