ब्रेकिंग न्यूज काशीपुर : पत्रकार विकास गुप्ता की जमानत अर्जी खारिज

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : प्रोपर्टी डीलर सौरभ अग्रवाल से लगभग 1 करोड़ की वसूली के आरोपी पत्रकार विकास गुप्ता की जमानत अर्जी आज कोर्ट से खारिज हो गई।

पत्रकार विकास गुप्ता ने एसीजेएम सचिन कुमार की अदालत में अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत का प्रार्थना पत्र लगाकर कहा कि उन पर उक्त धाराओं का अपराध नहीं बनता है। वर्तमान मामले में कोई भय नहीं दिखाया गया ना ही पुलिस का कोई भय का साक्ष्य है। वीडियो रिकॉर्ड में दोनों ही व्यापार के लेन देन सम्बन्धित बातचीत कर रहे हैं। समस्त लेन-देन बहुत पुराने प्रतीत होते हैं और वीडियो रिकॉर्डिंग दोनों पक्षकारों की आपसी बात-चीत की प्रतीत होती है।

बताया कि पुलिस द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्तर्गत धारा 65बी का भी कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया और ना ही भय दिखाकर धन लेने वाला ही कोई प्रमाण लिया। विशेष वस्तु में जो जमीन लिया जाना प्रदर्शित है व सौरभ अग्रवाल द्वारा नहीं दिया गया और कोई भी वैसी बातचीत नहीं हुई कि भय दिखाकर मूल्य प्रतिभूति की मांग की गई हो।

बताया कि जनवरी 2025 के बाद का कोई वाक्या नहीं है, जिससे साबित होता है कि समस्त व्यापारिक लेन-देन को किसी प्रकार झूठे मुकदमें फंसाकर गलत धारा लगाई गई है। मामले में पुलिस द्वारा धारा 318 (4) लगाई गई है। जबकि मामला व्यापारिक लेनदेन से संबन्धित है। ऐसे में धारा 318(4) का अपराध नहीं बनता है और धारा 308 के साथ धारा 318(4) का कोई मेल नहीं है। वर्तमान मामले में धारा 351 (2) जबकि सिविल प्रकृति के लेन-देन में धारा 351(2) लागू नहीं होती है और ना ही धारा 61 लागू होती है। वर्तमान मामला सिविल प्रकति का है। पुलिस द्वारा जानबूझकर धारा 318 की वृद्धि कर बेवजह फंसाया जा रहा है।

बताया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट मात्र पढ़ने से भी स्पष्ट है कि कोई रकम ब्लैकमेलिंग करके नहीं मांगी गई और वर्तमान मामले में अभी तक वीडियो की फोरेंसिक पुष्टि नहीं हुई है। जिस कारण उपरोक्त अपराध साबित नहीं होता है। अत अभियुक्त को ता-फैसला जमानत पर रिहा किए जाने की याचना की गयी।

वहीं, सहायक अभियोजन अधिकारी राम कुमार सिंह तथा सौरभ अग्रवाल के अधिवक्तागण आनन्द रस्तौगी, मुजीद, आकाश संजीव, अमित, विकास अग्रवाल आदि द्वारा कथन किया गया कि अपराध अजमानतीय है। अभियुक्त शातिर किस्म का व्यक्ति है। यदि अभियुक्त को जमानत दी जाती है तो वह वादी मुकदमा को डरा-धमका सकता है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद एसीजेएम सचिन कुमार ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि प्रपत्रों के अवलोकन से विदित है कि अभियुक्त पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 318(4), 351(2), 308(7), 61 का अभियोग है। अभियुक्त पर आरोपित अपराध गम्भीर एवं अजमानतीय प्रकृति का है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायालय के मत में अभियुक्त की जमानत का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। अतः अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त किया जाता है।

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