तो क्या 5 नवंबर को ममता बनर्जी नहीं रहेंगी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री?

0
96

विकास अग्रवाल
कोलकाता (महानाद) : तगड़े बहुमत से सत्ता में आई लेकिन अपनी सीट से चुनाव हारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आगामी 5 नवंबर 2021 को अपनी कुर्सी त्यागनी पड़ सकती है। क्योंकि चुनाव आयोग अभी उपचुनाव कराने के मूड में नहीं है और जिस सीट (नंदीग्राम) से ममता चुनाव हारी हैं उसका मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। वहीं यह भी जरूरी नहीं है कि हाईकोर्ट से फैसला उनके पक्ष में ही आयेगा।

बता दें कि पश्चिम बंगाल की हारी हुई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अपनी सीट पर बने रहना मुश्किल हो सकता है और आगामी 5 नवंबर को उन्हें अपनी कुर्सी से इस्तीफा देकर किसी और को अपना उत्तराधिकारी घोषित करना पड़ सकता है। क्योंकि जहां पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता की पार्टी टीएमसी को जबरदस्त बहुमत मिला वहीं वे स्वयं नंदीग्राम सीट से भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के हाथों चुनाव हार गईं। इसके बावजूद वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तो बन गई लेकिन अब उन्हें इस पद पर बने रहने के 6 महीने अर्थात 5 नवंबर 2021 तक उपचुनाव जीतकर विधायक बनना जरूरी है। वहीं पश्चिम बंगाल की सात सीटें खाली हैं जिन पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराये जाने हैं। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने सांसद सुदीप बंदोपाध्याय के नेतृत्व में चुनाव आयोग से मुलाकात की और ज्ञापन सोंपकर राज्य में खाली पड़ी सभी 7 विधानसभा सीटों पर तुरंत उपचुनाव करवाए जाने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने तर्क दिया कि इन सीटों को खाली हुए 2 महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। उधर चुनाव आयोग ने कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर सभी प्रकार के चुनावों को अनिश्चितकालीन समय तक के लिए रोक दिया है।

विदित हो कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में जिस समय पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव चल रहे थे। उस समय मद्रास हाई कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर नाराजगी दिखाते हुए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि आयोग के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के लिए चुनाव आयोग के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया जाना चाहिए। आयोग अपनी जिम्मेदारी को निभाने में असफल रहा है। चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने कोरोना प्रोटोकाल का जमकर उल्लंघन किया जिसे रोकने में चुनाव आयोग नाकाम रहा है। चुनाव आयोग के चलते स्थिति इतनी भयंकर हुई है और वह राजनीतिक पार्टियों पर नकेल कसने में नाकाम रहा।

जिसके बाद चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाया और कोरोना के मद्देनजर सभी चुनावों को स्थगित कर दिया। इसी संवेधानिक संकट के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसी आधार पर माना जा रहा है कि आखिरकार 5 नवंबर को 6 महीने पूरे होने पर ममता बनर्जी को भी अपने पद का त्याग करना पड़ेगा। यही नहीं उनके साथ-साथ उनके मंत्रिमंडल के दो और मंत्रियों को भी इस्तीफा देना पड़ेगा। क्योंकि वे भी अभी किसी सीट से विधायक नहीं हैं।

इसी डर के कारण टीएमसी राज्य की खाली पड़ी सीटों पर तुरंत चुनाव करवाना चाहती है। टीएमसी की दलील है कि इस समय राज्य में कोरोना की हालत में काफी सुधार हुआ है। अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब प्रतिदिन 17 हजार से ज्यादा मामले आ रहे थे तो चुनाव आयोग ने राज्य में विधानसभा के चुनाव करवा दिये। लेकिन अब जब राज्य में कोरोना के मामलों में 17 गुना से ज्यादा की कमी आ चुकी है तब आयोग चुनाव करवाने में आनाकानी कर रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here