संदीप सहगल को मिल पायेगा कांग्रेस का ‘टिकट’ या ‘परिवार’ को मिलेगी अहममियत

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : काशीपुर में परिवर्तन यात्रा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयान ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है। चर्चा है कि इस बार काशीपुर विधानसभा टिकट गुटबाजी में फंसे संदीप सहगल को न मिलकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी पुराने कांग्रेसी परिवार के किसी सदस्य को मिल सकता है।

आपको बता दें कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान काशीपुर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंच से कहा है कि यदि काशीपुर के कुछ पुराने कांग्रेसी परिवार चाहें तो काशीपुर में कांग्रेस का 35 साल का सूखा खत्म हो सकता है। ऐसे में काफी समय से अपने को टिकट का प्रबल दावेदार मान रहे महानगर कांग्रेस अध्यक्ष संदीप सहगल का टिकट कट सकता है। चर्चा है कि महानगर कांग्रेस का अध्यक्ष होने के बावजूद वे गुटबाजी में फंसे हुए हैं। उन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह तथा स्व. इंदिरा हृदयेश के गुट का माना जाता था। इन दोनों को खुश करने के लिए सहगल ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी तवज्जो नहीं दी थी। वहीं हालातों ने ऐसी करवट ली कि नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का आकस्मिक निधन हो गया और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को हटाकर नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस की धुरी बनकर उभर गये। जिससे डॉ. इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह के सहारे काशीपुर से टिकट की आस लगाये संदीप सहगल को झटका लग सकता है।

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वहीं, यदि काशीपुर में कांग्रेस के पुराने परिवारों की बात करें तो चाहें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आधा दर्जन परिवारों का जिक्र किया लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में सक्रिय राजनीति में जो परिवार अपनी भूमिका निभा रहे हैं वे हैं स्व. सत्येंद्र चंद्र गुड़िया तथा विनोद वात्सल्य परिवार।

बता दें कि विनोद वात्सल्य को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का बेहद करीबी माना जाता है और जब भी हरीश रावत काशीपुर आते हैं तो उनके साथ विनोद वात्सल्य की उपस्थिति अक्सर देखी जाती है। इसलिए हो सकता है कि इस बार कांग्रेस का टिकट विनोद वात्सल्य को मिल जाये।

वहीं, यदि स्व. सत्येन्द्र चंद्र गुड़िया की बात करें तो एक समय था जब काशीपुर और आसपास के क्षेत्र में सत्येन्द्र चंद्र गुड़िया की तूती बोलती थी। जिस समय नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब स्व. गुड़िया को सेमी चीफ मिनिस्टर कहा जाता था। राजनीति के दौरान उन्होंने काशीपुर क्षेत्र में शिक्षा को बहुत बढ़ावा दिया। इसी कारण उदयराज हिंदू इंटर कॉलेज हो, जीबी पंत इंटर कॉलेज हो, चंद्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय हो या आईएमटी जैसा मैनेजमेंट कॉलेज, भी सत्येंद्र चंद्र गुड़िया की देन है। अब उनकी सबसे छोटी सुपुत्री डॉ. दीपिका गुड़िया आत्रेय उनके कार्यों को आगे बढ़ाने में जुटी हुई है। परिवर्तन यात्रा के दौरान मंच संचालन में उनकी उपस्थिति काशीपुर कांग्रेस में उनके बढ़ते कद का संकेत माना जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी लगतार गुड़िया परिवार से संपर्क बनाये रखते हैं और परिवार से मिलने आते रहते हैं। ऐसे में हो सकता है कि इस बार कांग्रेस का टिकट डॉ. दीपिका गुड़िया को मिल जाये। यदि दीपिका को टिकट मिलता है तो शायद काशीपुर का 35 साल का सूखा खत्म हो जाये।

वहीं, टिकट की दौड़ में एक नाम और आगे दिखाई दे रहा है, और वह है कांग्रेस नेत्री मुक्ता सिंह। पूर्व में हुए नगर निगम चुनावों में उन्होंने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। और दूसरे नंबर पर रहीं थी। इस बार वे विधानसभा चुनावों में टिकट की प्रबल दावेदारी प्रस्तुत कर रही हैं। इसलिए उनकी दावेदारी को भी दरकिनार नहीं यिा जा सकता।

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